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आचार्य केशीश्रमण का जीवन 1
[वि० पू० ५५४ वर्ष
इस उदाहरण से पाया जाता है कि भगवान महावीर का त्याग वैराग्य कठोर तप और स्याद्वाद को महात्मा बुद्ध बड़ी रुचि से मानता था ।
महात्मा बुद्ध का समय भगवान महावीर के समकालीन था अर्थात् भगवान महावीर के जन्म दो वर्ष पूर्व से महात्मा बुद्ध का जन्म हुआ था भगवान महावीर के निर्वाण के पश्चात् छः वर्षो से महात्मा बुद्ध का निर्वाण हुआ था, अतः महावीर का आयुष्य ७२ वर्ष का था और महात्मा बुद्ध का श्रायुष्य ८० वर्ष का था । प्रसंगोपात महात्मा बुद्ध का संक्षिप्त परिचय करवाने के बाद अब हम मूल विषय पर आते हैं ।
केशी श्रमणाचार्य महाप्रतिभाशाली हुये। आपने जैनधर्म की कीमती सेवा की यज्ञवादियों की बढ़ती जाती क्रूरता को रोकने में भागीरथ प्रयत्न किया तथा उन पाखंडियों के चंगुल में फंसे हुए नरेशों को एवं जनता को जैनधर्म में स्थिर किया और जैनश्रमण संघ में खूब आशातीत वृद्धि की कि जिन्होंने भारत में hari र भ्रमण कर जैनधर्म का प्रचार किया ।
फिर भी उस समय की बिगड़ी हुई परिस्थिति को सुधारने के लिए कुदरत एक प्रतिभाशाली लौकिक महापुरुष की प्रतीक्षा कर रही थी । ठीक उसी समय जगतोद्धारक विश्ववत्सल भगवान महावीर ने श्रवतार धारण किया । फिर तो था ही क्या ? जैसे सूर्य उदय होने के पूर्व ही चारों ओर प्रकाश फैल जाता है वैसे विश्व के वायुमण्डल में शान्ति के परमाणु प्रसारित होने लगे ।
भगवान महावीर
यों तो भगवान् महावीर के पवित्र एवं परोपकारी जीवन पर प्रकाश डालने वाले पृथक २ विद्वानों की ओर से बड़े २ प्रन्थों का निर्माण हो चुका है उनके अन्दर से कई ग्रन्थ तो मुद्रित भी हो गये हैं । अतः यहां पर भगवान महावीर के जीवन विषय संक्षिप्त में ही लिखा जाता है ।
ई० स० पूर्व ५९८ वर्ष का समय था कि क्षत्रीकुण्डनगर के राजा सिद्धार्थ की महारानी त्रिसला देवी की रत्न कुक्ष में चौदह स्वप्न सूचित भगवान महावीर ने अवतार लिया । उस दिन से ही राजा सिद्धार्थ का १ महावीर स्वामी चरित्र कर्ता गुणचन्द्र गणि १ - भगवान महावीर की जन्म कुण्डली २ महावीर स्वामी चरित्र
नेमिचन्द्र वि० सं० ११३९
पं० मंगलकलस वि० सं०
३ महावीर स्वामी चरित्र ४ महावीर स्वामी चरित्र ५ महावीर स्वामी चरित्र ६ महावीर स्वामी चरित्र ७ महावीर स्वामी चरित्र ८ महावीर स्वामी चरित्र इनके अलावा भी कई छोटे
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२ श्रु.
१० के. मं.
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पं० निधान कुशल वि० सं०
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जिनेश्वरसूरि शिष्य
असग (दिगंबर)
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बड़े जीवन लिखे गये थे ।
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