________________
भगवान् पार्श्वनाथ की परम्परा का इतिहास
मुनिपेहित ने कपीलवस्तुनगरी के राजा शुद्धोदन एवं राजकंवर बुद्ध को धर्मोपदेश दिया जिससे विरक्त हो बुद्ध ने जैन दीक्षा स्वीकार करली । पृष्ठ १७
Jain Education in tega
केशीश्रमणाचार्य ने चित्तप्रधान के आग्रह से श्वेताम्बिकानगरी में जाकर के नास्तिक शिरोमणि राजा प्रदेशी को प्रतिबोध देकर जैनधर्म में दीक्षित किया । पृष्ट ३०
vate & Personal use only
www.jainelibrary.org