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________________ दन बाला का दान बन्दन बाला की कूणिक ने चम्पा में राजधानी दीक्षा इस देश कोसुंबी नगरी तानिक-मृगावती जयंति खंड प्रद्योतन को कार्रवाइ सृगवती के शील की रक्षा वत्सपति की वंश वळी राजा के लिये भ्रांति कौशल देश की राजधानी राजा प्रसेनजित जेनीथा उसका बनाया जैन स्तम्भ कौशल यति की वंशावली मिकी हुई मूर्ति के शिलालेख सिन्धु सौवीर देश उदाइ राजा प्रभावती राणी महावीर मूर्त्ति त्रिकाल पूजा सुवर्ण गुठि का दाशी उज्जैन नरेश की कारवाई ९६७ भ० महावीर का आगमन भाणेज केशी को राज-दीक्षा अभिच कुंदा का द्वेष चम्पा० राजर्षि के बीमारी दही में विषका देना देवता का उपद्रव्य पट्टन दहन होना सिन्ध में मूर्ति का मिलना कुमारपाल के समय मूर्ति शूरसेन देश-मथुरा नगरी सिंह स्तूप की प्रविष्टा क्षत्रपों की वंशावली मूर्ति-दाशी का अपहरण उदार की उज्जैन पर चढाई मूत्ति दासी और राजाको पकड़ लाना मार्ग में वरसाद और जंगल में देरा सांवत्सरिक प्रतिक्रमण Jain Education International आंत्र वंशियों की वंशावली वल्लभो नगरी का इतिहास १९६८ | हिन्दू शास्त्रों में सौरठ को अनार्य वल्लभी का राज प्रवन्ध वल्लभी की वंशावली ९६९ दासी और मूर्ति देकर क्षमापना ९७१ राजा उदाइ की भावना २३ कलिंग देशकांचनपुर करकंडु राजा कलिंगपति खारबेल का शिलालेख कलिंग पतियों की वंशावली आंध्रदेश-दक्षिण प्रदेश नंदवंश का श्रीमुखराजा शिलालेख और सिक्का ९७३ " "9 99 उपकेशपुर नरेशों की वंशावली ९७८ ૧૦ 99 चन्द्रावती को मांडव्य पुर की .९८२ ९८३ भिन्न माल विजय पट्टन शंखपर राजाओं को 19 की की " " पुरातत्व की शोध खोज इतिहास के साधन सिक्काओं की शुरुआत 19 99 "3 बीरपुर राजाओं की, नागवंशियों नागपुर बसाया नागपुर राजाओं की सिक्का - प्रकरण "" ९७४ व्यापार की श्रेणियां राजा विंवसार का नाम श्रोणिक पहले व्यारार कैसे चलता था ? ६७५ वस्तु के बदले वस्तु तेजमतुरी का व्यववहार भूमि से प्राचीन नगर तीन प्रकार के सिक्के मिले हैं f -काओं पर राजाओं के चिह्न जैन तीर्थङ्कारो के चिन्ह तीर्थङ्कारों की माता को स्वप्नेसाहित्य का अभाव और भ्रम बोद्धधर्म का प्रचार क्यों ? पाश्चात्य देशों में जैन धर्म प्र० ९७६ ९८४ ९८५ जैन धर्म के कठिन नियम भारत के प्राचीन धर्म जैनों के लिये अन्य धर्मों बुद्ध के माता पिता जैन थे बुद्ध ने जेन दीक्षा ली थी शूद्र के लिये स्थान शूद्र और जैन धर्म श्रेणिक नंद मौर्य राजाओंजैन और बोद्धों के मत्तभेद चीनी यात्रा भारत में जैन साहित्य का प्रकाश उड़ीसा प्रान्त का शिलालेख खारबेज जैन चक्र० राजा ९८६ | मथुरा का सिंह स्तूप ९८७ स्तूप की प्रतिष्ठा सर कनिंगहोम का मत For Private & Personal Use Only मन्दिरों स्तूपों की शुरुआत भारत में जैनराज भ का राज सिक्काओं के चित्र स्तूप - प्रकरण पुरात्व की शोध खोज जैनस्तूपों की प्राचीनता ९९४ ० फ्लट् का मत ० स्थिम का मत मथुरा में जैन मन्दिर वस्तूप मथुरा में भागम वाचना मथुरा गच्छ-संघ साची स्तूप आवंती के दो विभाग विदिशा नगरी में जैनों की • जीवित स्वामी की प्रतिमा जैनाचार्यों का यात्रार्थं आ० सांची पुरी में स्तूपों का संचय जैनों का यात्रा धाम तीर्थं सम्राट् सम्प्रति की राजधानी स० [सम्प्रति को जैनधर्म की दीक्षा विदिशा के कई नाम www.jainelibrary.org
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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