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________________ ९१३ रणथंभोर में पन प्रभुकी प्र. ऊमास्वाति का आर्य समय राजाग्रह पर चढाई [२३] आ० देवानन्दसूरि कालकाचार्य कितने-समय अभयकुमार की बुद्धि का प्रयोग विदिशा नगरी का महत्व आचार्यखपट सूरि का , देव पट्टन में पार्श्वनाथ की प्र० महागिरि-सुहस्ती की यात्रार्थ [२४] आचार्य विक्रमसूरि आचार्य पादलिप्त सूरि का , आचार्य नागहस्ती सूरि का, सम्प्रति को राजधानी वि. दिशा में सरस्वती की भाराधना भाचार्य वृद्धवादी सिर० सूरि अवंति राजाओं की नामावली मुंका पीपल वृक्ष नवप्लव होगा। समय का विचार आचार्य स्कन्दिल सूरि का , कई भजैनों को जैन बनाये विक्रम वंश की वंशावली ६६. आचार्य जोवदेव सूरि, [२५] आचार्य नरसिंहमूरि ९२२ आचार्य ब्रमसेनादि , चष्टान वंश का गज जैन धर्मी जैन धर्म और बोद्ध धर्म के. भ्रांति हिंसक मक्ष को प्रतिबोद्ध आचार्य मल्लबाडी का, महाक्षत्रपों राजा की राणी जैन थी खुमाण कुल के लोगों को जैन जैनागमों को पुस्तको पर क्षत्रय राजाओ की वंशावली समुद्र नाम का क्षत्री को दीक्षा पुस्तकें रखने में प्रायश्चित पश्चिम के क्षत्रयों की , . [२६] आचार्य समुद्रसरि पुस्तकें जितनी बार बान्धे छोड़े प्राय गुप्त वंशी राजाओं की , ९५५ हिंसक चामुंडा को प्रतिबोध पुस्तक रखने में असंयम श्वेत हूणों के राजा जेन दिगम्बरों की पराजय जितना ज्ञान सतना कण्ठस्थ अंग देश को चम्पा नगरी नाग० इच्छा तीर्थ को पुनः श्वे० पुस्तकें रखने में इतना ही दोष दधिवहान राजा जितना शास्त्र कारों ने कहा पद्मावतो राणा का दोहला [२७] आचार्य मानदेवमूरि विक्रम के पूर्व पुस्तकें लिखी जाती थी | हस्ती-वंशदेश में ले जाना विस्मृत सूरि मंत्र पुनः स्मरण विक्रम की दूसरी शताब्दी |सणी की दीक्षा देवी माविका की भाराधमा विक्रम की चौथी शताब्दी रोगी के पुत्र का जन्म २०-आय-देवर्द्धि गणि राजप्रश्श्री सूत्र में पुस्तकरत चाक के घर करकंदु नाम क्षमाश्रमण पुस्तक पांच प्रकार के पद्मावती की पुनः दीक्षा दो प्रकार को पट्टा-गुरु० युगप्रधान. भठारह प्रकार की लिपि निमित वेत्ता का निमत भोजपत्र, तारपत्र, कागद पर किस परम्परा के स्थविर थे? बच्चों में विवाद ताडपत्र पर लिखने का समय राजा का इन्साफ मथुरी एवं वल्लभी याचना लिखने के लिये साही काली। ब्राह्मणों को ग्राम देना आचार्यमेरुतुंगकी स्थविरावली लाल सोनारी भष्टगंधादि करकंदुकों कलिंग का राज मन्दी सूत्र की स्थविरावली दवात-लेखन भादि १७ चीजो . ब्राह्मणों को चम्ग भेजना कल्प सूत्र की स्थविरावली लेखन के गुण-दोष दोनों राजाभों में युद्ध एक तीसरी स्थविरावरी भन मात्रा, पडि मात्रा लिपि पद्मावती साध्वी के कहने से दोनों के मतभेद में तीसरा की साधुओं के अलावा अन्य लोग बाप-बेटा का मिलाप दुषमकाल का श्रमण संघ ९३.. लेखक को निर्दोषता चम्पा पर संतानिक राजा की तेवीस उदय युग प्र. काल यंत्र विदेह देश के राजाओं धारणी जिभ्या कड मर गइ तेवीस उदय के आदि युग प्र० राना चटेक-गणशतक | चंदन बाला को कौसुवी 'तेवीस उदय के अन्तिम युग प्र. पुत्र शोभनराय बजार में बेची जाना प्रथम उदय के २० युग प्रधान चरेक के लात पुत्रियों में धनो सेठ खरीद की दूसरे उदय के २३ युग प्र० छः पुत्रियों का विवाह एक कु. चंदण बाला को कारागृह में युग प्रधानों का समय भावंति राजा चण्डप्रद्योतम की.. | महावीर का अभिप्रह Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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