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झटकूप का राजसी धवल उज्जैन के चतुर्मास के बाद खटकूप में धवल की दीक्षा
जैन मन्दिर को प्रतिष्ठा दोनों आचार्य उपकेशपुर में । मिश्र माल का संघ कुंकुंदाचार्य का चतु० मिन माल करि उपकेशपुर में
बाद पूर्व की यात्रार्थं
मिल संघ का आग्रह
कुंकु दाचार्य का स्वर्गवास भिन्नमाल संघ ने देवगुप्त सूरि बनारस के दो टुकड़े
कसूरि चन्द्रावती में चन्द्रावती में श्रमण सभा
सूरिजी का सवेट उपदेश
बाद उपकेशपुर में श्रेष्ठिगौत्र • यात्रार्थ संघ
सूरिजी संघ के साथ शत्रुंजय देवी के कहने से ३३ दिन की आयुः राजहंस मुनि को सूरिपद तीर्थ पर सूरिजी का स्वर्गवास सूरिजी के शासन में दीक्षाएं. तीर्थों के संघ
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मन्दिरों की प्र० ३४ - आचार्य देवगुप्तरि ८७८
( वि० सं० ४८०-५२० ) खटकूप नगर का राजसी तेरह पुत्रों में धवछ व्यापारखेती गायो खेती से होने वाला लाभ राजसी को चित्रावल्ली कुदाचार्य खटकूंप नगर में मन्दिर बनाने का निश्चय सम्मेतशिखर का संघ
अंजनसिलाका का प्रश्न राजसी धवल उज्जैन में कक्कसूरिजी खटकूंप आये
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सालग नाम बड़ा सेट ८८५ सूरिजी - सालग का संवाद सालग ने जैनधर्म स्वीकार सलग का बनाया मंदिर सलग का वि० शिखरजी का संघ तोर्थपर सालग की दीक्षा पांच पांच लोना मुहर परामणी में लोहाकोट में श्रमण सभा सिंध कछ होकर शत्रुञ्जय भरोंच आयु होकर चन्द्रावती सांगण के मन्दिर की प्र० घर देरासर में माणक की मूर्ति द्रभ्य व्यय करने का सवाल उस समय का समाधान
धवल की दीक्षा मन्दिरको प्रतिष्ठा सुवर्ण मुद्रण परामणी में शत्रुंजयादि तीर्थों का संघ राजसी की सपति तीर्थ पर दीक्षा खेतसीकों संघ माल
तीर्थ पर श्रेष्ट देवराज के म० राजहंस को सूरिपद पद्मावती में चतुर्मास तीन सौ सन्यासियों को दीक्षा श्रेष्टि० मंत्री अर्जुन ने पूर्व का संघ देववाचक को दो पूर्व का ज्ञान भरोंच नगर में श्रमण सभा
सूरि जी का सचोट उपदेश सूरिजी उपकेशपुर में
सूरिजी का पांच मास का आयु: मंगल कुम्मको रिपद सूरिजी का स्वर्गवास
शासन में दिशाए तीर्थों का संघ मन्दिरों की प्र०
३५- आचार्य सिद्धरि ८९५
( वि० सं० ५२०-५५८ ) चित्र कोट नगर विरहट गौश्री शाह ऊमा सारंग, व्यापारार्थं विदेशमें समुद्र में उत्पात को घवराये निश्चय पर दृष्टान्त
देवता बली मांगता है।
सारंग की धर्मं दृढ़ता पर देवता संतुष्टो पैरों में पड़ता है एक दिव्यहार सारंग को सारंगादि सकुशल घर आये आचार्य देवगुप्त सूरि चित्रकोट में शाह ऊमा सारंगादि ३७ दीक्षाएं पुनढ़ने शिखरजी का संघ नि०
सारंग ही सिद्धसूरि बनते हैं । चंद्रावती नगर में
सूरिजी
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उपकेशपुर का राव हुल्ला म्लेच्छों की सैना का उपद्रव शाक वाजी भक्षी पर कायरता का०
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राजसे सब को दूर करना
काम पड़ा ने पर वेही काम०
रावजीका पश्चाताप महाजनों की वीरता और दुश्मन का भाग छुटना रोवजी पुन: जैनधर्म स्वी० सूरिजीका आयु १ मास १३ दि० विनमसुन्दर को सूरपद सूरिजी का स्वर्गवास
सूरिजी के शासन में वीर कुशल - राजकुशल पं०
रेणुकोट में बांदी के साथ पण्डितजी की विजय पताका शासन में दीक्षाएं
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तीर्थो के संघ प्रतिष्ठाएँ
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दुकाल में अन्न घास दान वीर वीरांगण में वीरता
वीर परम्परा
[२१] आचार्य वीर सूरी
नागपुर में नेमिनाथ की प्र०
[२२] आचार्य जयदेवसूरि
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