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________________ सिन्ध के लोग कच्छ में शूचीर और सतियाँ पुत्र जन्म ठाकुरसी नाम सुरिजी का सिन्ध में पदार्पण पात्रार्थ तीर्थों के संघ ठाकुरसी के लग्न को छ मास दीक्षाएं में नाई का भला मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठाएं सूरिजी का शुमा मन पार्थ मन्दिर की प्रतिष्टा २९-आचार्य देवगुप्तसरि ७७५ व्याख्यान और वैराग्य श्री भगवती सूत्र की पूजा माता पुत्र का संवाद (वि. सं. ३५७-३७०) देवी की प्रार्थना सूर उपकेश उकुरसी १३ के साथ दीक्षा कोरेटपुर के श्रीमान योग्यता पर सरिपद भामा नगरी का कशाह शा: लुम्बों-फूली-वरदत्त भावुकों की दीक्षाएँ ७५९ सूरिजी का दक्षिण में विहार वरदत्त के शरीर में रक्त की बीमारी अष्टि यशोदेव के मन्दिर की प्राग्वट रावल का संघ ७५० स्नान पूजा और मतभेद दीक्षाएं एवं पदवियों हस्तनापुर के तप्तभट्ट नंदा का। निकाला सम्मतशिखर का संघ सौपार पट्टन में दीक्षाएं सरिजी का आगमन शाकम्भरी में धर्मविशाल को सरि देवी सहायिका बन्दनार्थ सौराष्ट्र एवं गिरनार पद और सूरिजी का स्वगवास । सृरिजी का वासक्षेप योगियों को जमात तरुण साधु सूरिजी के शासन में दीक्षाए उपदेश और कषाय के भेद मुनि और तापस का संगद .९० , शासन में या संघ शंख श्रावक का प्रभ स्थाद्वाद, आत्मा क्रम, चार प्रकार के युद्ध में वीरगति व सतियों कषाय विषय दृष्टान्त जीव, पांच प्रकार के ज्ञान माहिसादिवि. दुकाल में शत्रु कार बादत्त की दीक्षा-पूर्णानन्द तापस की दीक्षा शान्तमूर्ति, .. मन्दिरों को प्रतिष्ठाएँ उपकेशपुर में सरिपद सरिजी मांडपपुरमें मुनि शान्ति सागर को सरि २८-आचार्य ककसरि ७६४ छट छट की निगन्तर तपस्या माका गामनी विद्या सूरिजी के शासन में दीक्षाए (वि स. १३१.३५.) विद्या बल से संघरक्ष्य ." भभापुरी नगरी , तीर्थों के संघ मुनि सोमकलस वचन सिद्धि ...३ वीरों को धीरता सातियों श्रेष्ठिगीत्रीय धर्मण-कर्मा गुणनिधान और वचन सन्धि जनोपयोगी कार्य देवी का साक्षात्कार सूरिजी चित्रकोर में मन्दिर मूर्तियों की प्रतिष्ठाएं यात्रार्थ उपकशपुर का संघ. मंत्री की प्रार्थना सरिजी के हाथों से कर्मा की दीक्षा कई नगरों में मन्दिरों की संख्या संघ सभा का आयोजन वल्लभीका भंग और रोका सरिपद-और ककसूरि और १६ | सूरजी का सचीट ल. जैनियों का संबन्ध बाप्पनग गौत्रीय का पुनड़ प्रभावना-योग्य पद्वियों घरड़ गोत्रीय कपर्दि का संघ विदेशियों के आक्रमण ७८७ पालिहकाले शत्रुञ्जय का संघ सूरिजी के शासन में दीक्षायें कोरंटपुर में सघ भेद शूरवीर और सतियाँ काकु, पातक संघमें साथ राजपूत कन्या के साथ विवाह बल्लभी पुरी में व्यापार वरदत्त की विशेषता तलाव कुवे और दुकाल में यात्रार्थ तीर्थों के संघ पुष्कल द्रव्योपार्जन सात प्रकृति का क्षयोप-सम चम्ग की कांगसी तीन प्रकार की आराधना मन्दिर मूयिों की प्रतिष्ठाएं बलात्कार कांगसी छीन लेना सरिजी चन्द्रावती में ३. आचार्य सिद्धसरि ७९१ रांका द्वारा विदेशी शैन्या दुर्गा श्रीमाल के धर्म कार्य (वि० स० ३७०-४००) रांका की सन्तान से रोका जाति सरिजी का विहार-उपकार जाबलीपुर-मोरख गौत्री मूल गौत्र बलाइ मुनि पूर्णानन्द को सूरिपद मगाशाह और जैती ३१-आचार्य रत्नप्रभसरि ८१२ सूरिजी के शासन में दीक्षाएं तीर्थयात्रा का मनरथ (वि० सं० ४००-४२७) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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