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संघ
देवचन्द्रोपाध्याय मानतुंग सूरि की बीमारी
शालकी १४साथियों के साथ दीक्षा सर्व देव सरि का भा०
इन्द्र का दियाहुमा १८ अक्षर का मन्त्र७१२ शिकार जातेहुए राजकुमार देवचन्द्र को सूरिपद 18 आचार्य मल्लवादी ७२२
विद्याका चमत्कार द्रव्य की भेंट [१८] प्रयोग्न सूरि ७०२
उपदेश एवं जैन धर्म की दीज्ञा भांच में जिनानंद
॥ नारदपरी जिनदत का बौदानन्द के साथ शास्त्रार्थ
जयानंद को सूरिपद पुत्र मानदेव की दीक्षा जिनानन्द वल्लभी में
सूरिजी का स्वर्गवास . नेमिचैत्य में वाप
७१५ दुर्लभादेवी तीन पुत्रों के साथ दीक्षा स्. शासन में दीक्षाएं [१६] आर्य मानदेवसरि ७१३
नयचक्र ग्रन्थ पढ़नेकी मनाइ तक्षशिला में मरकी क रोग मल्ल मुनि के मनोरथ
| , , वीरों की वीरता घरदत्त नारदपुरी में देव ने पुस्तक खींच लिया
, प्रतिष्ठाए पूरा प्रणामों की सजा श्रृत देव को भाराधना
२७-आचार्ययक्षदेवमूरि ७४९ घुशान्ति से शान्ति देवता का वरदान
(वि. ३०-३६) तक्षशिला का इतिहास नयचक्र का निर्माण इस्तीपर
सिध भूमि वीरपुर [२०] आचार्य मानतुंग भरोंच में बौद्धों को पराजित
भूरिंगौत्रीय शाह गोसल बनारस में राजा हर्षदेव कर देश बाहिष्कृत करना
शाह लालन का परिवार धनदेव, शीलवती व मानतुङ्ग
जिनानंद को पुन : भरोच में बुलाना | गोसला पुत्र धरण मानतुङ्गकी दिगम्बरी दीक्षा
बदाचार्य मरकर व्यंकर होना धरण की मात्ता क्षत्रीयानी मानतुङ्गको बहिन के यहां भिक्षार्थ
दोनों प्रन्यों का ध्वंस करना धग अपने मोसाल कमण्डल में जीवोत्पत्ति मल्लवादी का समय
मांसाहारी के साथ संवाद बहिन का उपासम्म
मल्लवादी नाम के कई भाचार्य .१५ / अमांस भोजी भी राज कर. श्वेताम्वरा चार्य बनारसमें २६-आचार्यरत्नप्रभसूरि ७३६
वीरपुर पर आक्रमण मानतुन की श्वे. दीक्षा
धरण की विजय
(वि० सं० १९८-110) पण्डित मयूर की पुत्री
धरणको सात ग्राम बक्सीस
सरिजी का भागमन बाण का विवाह
सौपार पट्टन पत्नी का प्रकोप व भाद्र गौत्रीय शाह देदा
राज कोक व धरण सेवा में पुत्री का वाप, मयूर के कोद रोग मा. सिरसरि का भागमन
ग्याख्यान का प्रभाव सूर्योपासना भापत्री का व्याख्यान
राजा और धरणादि की दीक्षा वाण के हाथ, पग, काटना तीन बनिये का दृष्टान्त
विहार क्रमशः नागपुर चण्डिका शतक की रचना खेमा के साथ ५० दीक्षाएं
नागपुर में सूरि पद जय पराजय के निर्णय के लिये काश्मीर | सूरिपर महोत्सव
यक्षदेव सूरि पल्हिकपुरी में मयूर के ग्रन्थों को जलाना ७१० रत्नप्रभसूरि भिन्नमाल में
व्याख्यान का वक्तव्य राजसभा में मानतुग सरि
भिन्नमाल का राजा अजितदेव दानधर्म की विशेषता राजा का प्रकोप गंगदेव का रात्रि भजन
दश प्रकार का दान १४ तालों वालो कोटरी रात्रि भोजन का उपदेश
भनेक उदाहरण भक्तामर की रचना उसका प्रभाव
सात क्षेत्र की विशेषता साले टूट गये सूरिजी जावलं पुर में
बलाहगौत्र शाह केला राजाने चमत्कार देखा
आ० शा० झालकी उदारता शत्रुञ्जयादितीर्थों का संव जैनधर्म स्वीकार किया भागमपूजा-भागम लेखन
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