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आधार नगर में सरिजी शिवभूति की उ खडता
भाचार्य जिनसेन का भामा कई भन्यों की दीक्षाएं नग्नव का आग्रह
राजा प्रजा को उपदेश ५३८ सम्भात नगर में प्रतिष्टाएं भाचार्य का उपदेश
८५ ग्राम के लोगों को ज.ध.की दीक्षा विकट समय में सरि जी का विहार उपधी रखने के कारण
८५ जातियों का कोष्टक सरि जी के शासन में दीक्षाएं शिवभूति का नग्न वन जाना
८१ जातियों के वित्त साध्वी भी नग्न संघ
दिगम्बरोत्पत्ति का समय " , प्रतिष्ठाएं वैश्याने बाल कपड़ा दिया
बधेरवालो की उ० इस घटना का समय [१४] आर्य वज्रसेन सरि ५१२
नरसिंह पुरो की उ० नग्नस्व से हानि द्वादशवर्षीय दुष्काल स्त्रीमुक्ति प्रकरण
परमारों की १८ जातियां दुष्का की भयंकरता
देवली भाहार प्रकरण ५२२ | गौगर इनकी २२ जातियां मोतियों के बदले जवार नहीं मिले
तीर्थकर प्रणीत शास्त्र दो मुनि भिक्षार्थ
दिगम्बरों की ८७ जातियां दिगम्बर शास्त्र पीछे बने सेठानी का विष पीसना
पल्लीवाल जाति ५४२ पवे की प्राचीनता मुनियों की अनुकम्पा मथुरा के शिलालेख
पल्लीवाल-वैश्य व ब्राह्मण तीन दिन का भविष्य
क्रिया काण्डियों का भल्याचार डॉ. हर्मन जेकॉपी चार पुत्रों की दीक्षा
पाली की प्रभुता हिन्दूधर्म के शास्त्र दुकाल से बचे हुए साधुओं की संख्या बौद्ध धर्म के शास्त्र
ऐतिहासिक पाली पक्षदेवसूरि की वाचना
व्यापारिक-पाली दिगम्बर शास्त्र शासन के निन्हव दिगम्बर संघ भेद
डॉट साहब का मत
पालीवाल जाति में जैन धर्म ५४४ -जमाली मूल संघ के भेद
पल्लीवाल गच्छ भौर पट्टावकी ५४५ २-तिष्य गुप्ता, द्राविड़ संघ के भेद
पल्लोवाल जाति के उदारनर ३-भयक वादी
यापनीय संघ के भेद ५-क्षणिक वादी काष्ट संघ के भेद
अग्रवाल जाति ५४७ ५-दो क्रिया वादी, माथुर संघ के भेद
भगुरुजाति के व्यापार से 1-औराशिक तारण पन्थ
भप्रहा नगर से अग्रवाल -गोष्ट मालिक तेरह
अग्रसेन राजा से अग्रवाल दूसरे भी कई निन्हव
अग्रवालों के १७॥ गौत्रों के कारण कोष्टक दिगम्बर मत्तोत्थसी, ५२० गुमान ,
भगवास जाति में जैन धर्म ५५० स्थवीर नगर
इनका समय कृष्णार्षि आचार्य
दिगम्बर जातियां ५३५ माहेश्वरी जाति ५५१ शिवभूति ब्राह्मण मत्स्य देश में खंडेला नगर
खंडेला नगर खंडेल सेन राजा रात्रि देरी से आना देश में मरकी का रोग
राजा के सन्तान नहीं माता का ताना ब्राह्मणों का यज्ञ
ब्राह्मणों का वरदान शिवभूति की दीक्षा नग्न मुनि का बलिदान
पुत्र जन्म और सज्जन कुमार नाम रस्नकांवड़ पर ममत्व बीमारी की वृद्धि
जैनाचार्य का भाना भाचार्य का उपालम्ब राजा का स्वप्न
राजकुंवरादि का जैनत्व स्वीकार करना जिमकरूपी कामाचार नरक की वेदना को देखना
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बीस
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तोता