SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 151
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ भ० म० गर्भ में अभिग्रह देवकृत जन्म महोत्सव भ० महावीर की बालक्रीड़ा भ० म० विद्यालय में प्र० भ० म० का विवाह भ० म वर्षी दान-दीक्षा भ म अभिग्रह भ० म० उपसर्ग भ० म० विहार म० म० तपश्चर्य भ० म० केवलज्ञान भ० म० परिवार भारत में जैनों की संख्या भ म० के भक्त राजाओं की नामा० भ० म० का निर्माण भ० म० के शासन में पाश्र्व सं० गौतमः केशी के प्रश्नोत्तर ३० १ चार पांच महाव्रत ? २ अचेल सचेल ? ३ संसार में दुश्मन कौन ? ४ पाश बन्धन में बन्धे कौन ? ५ विषयवल्ली कौन ? ६ ज्वालामान अग्नि कौन ? ७ उन्मार्ग जाने वाला अश्व० ८ कुपंथ - कुमार्ग ९ पानी का महावेग १० समुद्र के अन्दर मौका ११ घोर अन्धकार कौन ? पार्श्व० संतानिया तु गिया में दूसरे केशीश्रमणाचार्य महावीर अमलकांपा में सूरियाभ देव का नाटक पूर्वभव प्रदेशीराजा का जीव श्वेताम्बिका नगरी चितप्रधान सावस्थी में Jain Education International केशोश्रमण की भेट चित ने १२ व्रत लिये वाकः की विनंति उद्यान ने पारधी का दृष्टान्त चित्तका समाधान केशी श्वेताका पधारे प्रदेशी को उपदेश की प्रार्थना २५ सूरिजी का उपदेश चार पुरुष धर्म के अयोग्य भेट में आये अश्व चित प्रदेशी सुरि के पास ३६ रमणीक अरमणीक भावादनी के चार विभ राणी राजा को विष देना केशीश्रमण के विषय १२ शरीरी मानसी दुःख केशी के द्वारा पंच महाव्रत स्वीकार ३५ विवाद का समाधान काल सेवेसी-गंगीयाजी भ० महावीर के बाद में राजा प्रदेशी के प्रश्न १ मेरी दादी धर्मात्मा थी २ मेरा दादा अधर्मी था ३ जीवित चोर को कोठी में ४ मृत्यु चोर को कोठी में ५ युवक वृद्ध वजन उठावे ६ मनुष्य बाण चलाता है । ७ चौर के टुकड़े २ कर के देखा ८ जीवको प्रत्येक्ष बताओ ९ हस्तीबड़ा कुथुछोटा १० परम्परा से चला आया धर्म ११ लोह बनिये का उदाहरण इन ११ प्रश्नों के उत्तर तीन प्रकार के आचार्य ( वि० पू० ४७०.४१८ ) विद्याधर वंश के वीर पूर्व में मुनियों की बाहुल्यता शत्रुंजय की यात्रा के बाद ३९ भ० म० और केशी का निर्वाण ४ - आचार्य स्वयंप्रभसूरि ५० आबु पर व्याख्यान ४६ For Private & Personal Use Only अहिंसा का महाल्य श्रीमाल के भक्तों की प्रार्थना देवी चक्रेश्वरी की प्रेरणा विहार में कष्ठ-कटनाइया सूरिजी श्रीमाल नगर में मुनि भिक्षार्थ नगर में मांस मदिरा की प्रचुरता सूरि राज सभा में प्रवेश धर्मलाभ की हांसी प्रतिवाद हृदयस्पर्शी उपदेश ९०००० घरों को जैनी बनाया श्रीमाल नगर से श्रीमाल नूतन श्रावकों को ज्ञानदान ऋषभदेव का मन्दिर पद्मावती में बढ़ा यज्ञ सूरिजी का पहुँचना अहिंसा का उपदेश ४५००० घरों को जैनी बनाया प्राग्वट बंश की नीव शान्ति नाथ का मन्दिर रचूड़ की दीक्षा (भ. महावीर की परम्परा ) [ १ ] गणधर सौधर्माचार्य ५५ कोल्लग में मिल-भादिला का पुत्रसोधम्म चार वेद अठारह पुराण के ज्ञातामध्यपाप में यज्ञ प्रारम्भ भ महावीर का आगमन सौधर्म की शंका का समाधान पांच सौ के साथ दीक्षा गणधर पद-द्वादशाङ्गी सौधर्म चार्य की मोक्ष [२] आचार्य जम्बु राजगृह- रिषभ धारणी जम्बु का जन्म युवक व्यय आठ कन्याओं से सम्बन्ध सौधर्माचार्य का उपदेश वैराग्य-दीक्षा की भाशा ? आठ कन्याओं से विवाह ५६ ५६ 6 ू www.jainelibrary.org
SR No.003211
Book TitleBhagwan Parshwanath ki Parampara ka Itihas Purvarddh 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatnaprabhakar Gyan Pushpamala Falodi
Publication Year1943
Total Pages980
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy