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प्रस्तुत ग्रन्थ के सम्बन्ध में इस पुस्तिका में हमने भारतवर्ष की उत्पत्ति, कुरुदेश का नामकरण और हस्तिनापुर स्थापना के सम्बन्ध में प्रकाश डाला है; और प्राकृत तथा संस्कृत में हस्तिनापुर सम्बन्धि उल्लेखों को भी प्रस्तुत किया गया है। श्री जिनप्रभसूरि के समय की स्थिति और हस्तिनापुर तीर्थ में श्वेताम्बरों और दिगम्बरों की वर्तमानस्थिति को भी समाविष्ट कर लिया गया है। इस में जैनों को वैशाख शुदि-तीज के वार्षिकतप के पारणे को हस्तिनापुर में सम्पन्न करने का अनुरोध किया गया है और अन्त में पुरातत्त्व विभाग को अन्वेषण करके नया प्रकाश डालने की भी सूचना दी है। इन सब के साथ हस्तिनापुर जाने के मार्ग का भी उल्लेख कर दिया है।
हमारा गत चातुर्मास चीराखाना के श्रीचन्तामणिपाच नाय श्वोताम्बर जैनमन्दिर में हुआ था, वह सर्वश्रीधनपतसिंह जी भंसाली, श्रीरामचन्द्र जो भंसाली, बाबू सुमतिदास जी जैन और कन्हैयालाल आदि की
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