________________
१६
श्री जिनप्रभरि मुहम्मद तुगलक से हस्तिनापुर की यात्रा का फरमान लेकर दिल्ली पहुंचे, यहां से चतुर्विध संव निकलवा कर बाहड के पुत्र बोहित्थ संघपति सहित हस्तिनापुर पहुंचे। यहां आचार्यश्री ने शान्तिनाथ, कुन्थुनाथ, अनाथस्वामी की अभिनव मूर्तियों की मन्दिरों में प्रतिष्ठा कराई और अम्बा की प्रतिमा भी स्थापित करवाई । संघपति ने गरीबों को वस्त्र, भोजन, और ताम्बूलादि दिये । २६ पं० विजयसागर ने हस्तिनापुर के सम्बन्ध में लिखा है, यहां शान्ति, कुन्थु और धरनाथ का जन्म हुआ था। आगरा से उत्तर में १५० कोस है, पांच पांडव और पांच चक्रवर्ती यहीं हुए हैं और यहीं पांच स्तूप तथा पांच जिनमूर्तियां हैं । ३० पं० सौभाग्यविजय ३१ जी ने लग
२६. विविधतीर्थकल्प, पृष्ठ २७, ६४, ६६. ३०. हथि उरि हरबर हीथ्रो शान्ति कुंथु श्रर जन्म, श्रागराथी दिशि उत्तर दोढ़सो कोशे मर्म । पॉंडव पंच हुआ ईहाँ पंच हुआ चक्रवर्त्ति पंच नमु धूभ थापना पंच नमु जिन मूर्ति ॥ - पं०विजयसागर रचित सम्मेतशिखर-तीर्थ माला, ढला६.
( संवत् १६६४ के लगभग प्रणीत )
३१. जी हो दिल्ली थी पूरव दिशें, जी हो मारग कोश चालीस ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org