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महाभारत के प्रसिद्ध पाँचों पांडव और कौरव भी यहाँ हुए थे। यहीं ख्याति प्राप्त कार्तिकसेठ हुआ था, जिसने बीसवें तीर्थकर मुनिसुव्रत से अपने १००८ वणिक अनुयायियों के साथ दीक्षा ली थी और बारह वर्ष तक चारित्रपालन करने के बाद अन्त में एक मास की संलेखना करके मर कर प्रथम देवलोक का इन्द्र हुआ था२१
उत्तराध्ययन २२में एक कथा आती है कि हस्तिनापुर में पोत्तर नाम का राजा था, उसकी पत्नी का नाम ज्वाला था । इन के प्रथम पुत्र का नाम विष्णुकुमार था, दूसरे का महापद्म । राजा ने महापद्म को युवराज पद प्रदान किया । इसी समय उज्जयिनी में श्रीधर्म नाम के राजा का राज्य था, उनका मंत्री नमुचि था। एक बार इस राज्य में बीसवें तीर्थकर मुनिसुव्रतस्वामी के शिष्य सुव्रतम्ररि विहार करते हुए पधारे तो नमुचि विवाद के लिये जा २१. श्रीनद्भगवतीसूत्र, १८शतक, २उद्देशक २२. उत्तराध्ययनसूत्र,नेमिचन्द्रसूरिकृत,सुखबोधिकाटीकासहित
पत्र २४६, और अभिधानराजेन्द्र, भाग६, पृष्ठ २०४.
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