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पिता का नाम कृतवीर्य था और माता का नाम तारा था. 1 भारतवर्ष के ६ खण्डों पर आधिपत्य होते हुए भी उस ने सातवें खण्ड को सिद्ध करने की चेष्टा की परन्तु आधे मार्ग में ही उन्हें प्राण त्याग करने पड़े । १७ इसी नगर में जमदग्निपुत्र परशुराम हुए, इनकी माता का नाम रेणुका था और इन्होंने विद्याधर से परशुविद्या सीखी। पश्चात् गोहार अनन्तवीर्य का वध करके अपने पिता के हत्यारे कृतवीर्य को मारा, इस महाक्रोधी व्यक्ति ने तब २१ बार पृथ्वी को क्षत्रियशून्य बना दिया । १८
यहां गंगादत्त नाम की गृहपति रहता था, इसके पास सात कोटि स्वर्णमुद्राएं थी । १६ इसने मुनिसुव्रतस्वामी से दीक्षा ली थी, दीक्षा के बाद ११ अंगों का अभ्यास किया और अन्त में? मास की संलेखना करके समाधिपूर्वक मर कर महाशुक्र नाम के देवलोक मे उत्पन्न हुआ | २०
१७: श्रभिधानराजेन्द्र भाग७ पृष्ठ ६५८:
१८. योगशास्त्र- स्वोपज्ञवृत्ति, पत्र ७४.
१६. विविधतीर्थकल्प पृष्ठ २७. २०. श्रीमद्भगवतीसूत्र, १६ शतक, ५ उद्देशक
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