________________
س
: هم
२९
होनेसे
सुक्ष्म
* * * * * * * * *
ग्रंथोसें
ग्रंथोंसें
अथ प्रस्तावना शुद्धिपत्रम् पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध
पृष्ट पंक्ति अशुद्ध शुद्ध ३ १०.१४ पाणिनी पाणिनि
वलायु
बलायु व्योलेंघु व्योलघु
वामदेव सांत्यर्थम वामदेवशांत्यर्थम श्चंद्रकाश चंद्रःकाश
सोऽस्माक अरि सोऽस्माकमरि २३ श्चद्रकाश श्चंद्रःकाश
पुरुहुत पुरुहूत शकटायनः शाकटायन:
शिष्टान्नपि शिष्टानपि. न्यगर जैनें, न्यगरजैनें.
महामुनीना महामुनीनां श्रेष्टोत्तम श्रेष्ठोत्तम
उनक उनके सत्यनिष्ट सत्यनिष्ट
होनसे सम्यकबो. सम्यको
ऋषिकृत ऋषिकृत सूक्ष्म
वेस भी वे सभी
३० कुण्डसना कण्डासना सदग्रंथोक सदग्रंथोंके
जिनेद्रा जिनेंद्रा महाम्त माहात्म्य
सरस्वती हंस, सरस्वती, हंस निष्टावान निष्ठावान्
तन्त्वः तत्वतः अग्रेजी अंग्रेजी
विप्रैः य विप्रैर्य ऋग
ब्राह्माणोंको ब्राह्मणोंको यजुस्
मरूदेवी मरुदेवी , २६ बोधकी बौद्धकी
भरतेः
भरतः विनयत्रीपी विनयत्रयीपी
मरूदेव्यां
मरुदेव्यां ११ २ ऐक एक
मूल
मूलक , २१-२५ ऋषभ ऋषभ
मूलके मूलकके १२ ३ ऋषि ऋषि
धर्मकी
धर्मको
पंडितोमें १३ २ (तीर्थोंकी स्थापन) (तीर्थों) की स्था
पंडितोंमें
२२ २१ कचा करने वाले है) (पना करनेवाले हैं
काचा प्रमाण प्रणाम स्वस्तिनः स्वस्तिन
कीसी
किसी वृद्धश्रवा वृद्धश्रवाः
इति प्रस्तावना शुद्धिपत्रम् स्तायो
का
ऋग् यजुस्,.
२७
जीज्ञासु
जिज्ञास
हैं
" १०
स्ताक्षों
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org