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त्रयस्त्रिंशःस्तम्भः।
५९७ मालियकयंबकणयारियंपयासायबउलतिलएहिं॥ मंदारणायचंपयपउमुप्पलसिंदुवारेहिं ॥ ७॥ कणवीरमल्लियाई कचणारमयकुंदकिंकराएहिं ॥ सुरवणजजुहियापारिजासवणढगरेहिं ॥ ८॥ सोवण्णरूवमेहि य मुत्तादामेहि बहुवियप्पेहिं ॥ जिणपयसंकयजुयलं पूजिज्ज सुरिंदसयमहियं ॥९॥ दहिदुद्धसप्पिमिस्सेहि कमलमत्तएहिं बहुप्पयारेहिं ॥ तेवदिवंजणेहि य बहुविहपक्कणभेएहिं ॥ १०॥ रूप्पसुवण्णकंसाइथालणिहिएहिं विविहभरिएहिं ॥ पूयं वित्थारिज्जा भत्तिए जिणंदपयपुरओ ॥ ११ ॥ दीवेहि णियपहोहामियकतेएहिं धूमरहिएहि ॥ मंदमंदाणिलवसेण णचंतहिं अच्चणं कुज्जा ॥ १२॥ घणपडलकम्मणिचयव दूरमवसारियंधयारेहिं ।। जिणचलणकमलपुरओ कुणिज्ज रयणं सुभत्तिए ॥ १३ ॥ कालायरुणहचंदणकप्पूरसिल्हारसाइदवेहि ॥ णिप्पण्णधूमवत्तिहि परिमलापंतियालीहिं ॥ १४॥ उग्गसिहादेसिएहि सग्गमोक्खमग्गहि बहुलधूमेहि ॥ धुविज जिणिंदपायारविंदजुयलं सुरिंदणुयं ॥ १५॥ जंबीरमोयदाडिमकवित्थपणसूयनालिएरेहिं ॥ हिंतालतालखज्जुरबिंबणारंगचारेहिं ॥ १६ ॥ पुइफलतिंदुआमलयजंबूबिल्लाइ सुरहिमिटेहिं॥ जिणपयपुरओ रयणं फलेहि कुज्जा सुपकेहिं ॥ १७॥ अट्रविहमंगलाणि य बहुविहपूजोवयरणदवाणि ॥ धूवदहणाइ तहा जिणपूयत्थं वितीरिजइ ॥ १८॥
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