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तत्त्वनिर्णयप्रासाद
तथा षद्विधपूजाप्रकरणमें ऐसें लिखा है. ॥ एवं काऊण रओ खुहियसमुद्दोव गज्जमाणेहिं ॥ वरभेरीकरडकाहलजयघंटासंखणिवहेहिं ॥ १ ॥ गुलगुलंति तिविलेहिं कंसतालेहिं झमझमंतेहिं ॥ धुमंत फडहमदलहुडकमुखेहिं विविहेहिं ॥ २ ॥ चिट्ठेज जिणगुणारोवणं कुणंतो जिणंदपडिविंवे ॥ इडविलग्गसुदइ चंदणतिलयं तओ दिजइ ॥ १ ॥ सवावयवेसु पुणो मंत्तण्णासं कुणिज पडिमा || विविहचणं च कुजा कुसुमेहिं बहुप्पयारेहिं ॥ २ ॥ वलिवत्तिएहिं जुवारेहिय सिद्धत्थपण्णरुक्खेहिं | पुव्युत्तवयरणेहि य रइज पूयं सविहवेण ॥ १ ॥ गहिऊण सिसिरकरकिरणणियरधवलरयणभिंगारं || मोत्तिपवालमरगयसुवण्णमणिस्त्रचियवरकंठं ॥ १ ॥
सुयवुत्तकुसुमकुवलयरजपिंजरसुरहिविमलजलभरियं ॥ जिणचलणकमलपुरओ खेविज्जउ तिण्णधाराओ ॥२॥ कप्पूरकुंकुमायरुतरुक्कमिस्सेण चंदणरसेण ॥ वरबहुलपरिमलामोयवासियासासमूहेण ॥ ३ ॥
वासाणुमग्गसंपत्तामयमत्तालिराक्मुहलेणं ॥
सुरमउडघडियचलणं भत्तिए समल्लहिज्ज जिणं ॥ ४ ॥ ससिकंतखंडविमलेहि विमलजलोईं सित्तअइसुअंधेहिं ॥ जिणपडिमपट्ठिए जिय विसुद्ध पुष्णं कुरेहिं च ॥ ५॥ वरकलम सालितंदुलचणिहसुछंडियदीहसयलेहिं ॥ मणुपसुरासुरमहियं पूजिज जिणिंदपयजुयलं ॥ ६ ॥
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