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________________ तत्त्वनिर्णयप्रासाद. फल, धूप, दीपसें ग्रहोंका पूजन करे. ॥ तदपीछे अंजलिअग्रमें फूल लेके । “॥ॐ सूर्यसोमांगारकबुधगुरुशुक्रशनैश्चरराहुकेतुमुखाग्रहाः सुपूजिताः संतु सानुग्रहाः संतु तुष्टिदाः संतु पुष्टिदाः संतु मांगल्यदाः संत महोत्सवदाः संतु ॥” ऐसें कहके ग्रहोंके ऊपर पुष्पारोप करे. ॥ फिर इसी रीतिकरके। “ ॥ ॐ इंद्राग्नियमनिर्ऋतिवरुणवायुकबेरेशाननागब्रह्मणो लोकपालाः सविनायकाः सक्षेत्रपालाः इह जिनपादाये समागच्छंतु पूजां प्रतीच्छंतु ॥” ऐसें कहके पूजापट्टोपरि लोकपालोंको वासक्षेप करे. ॥ तदपीछे। “॥आचमनमस्तु गंधमस्तु पुष्पमस्तु अक्षतमस्तु फलमस्तु धुपोस्त दीपोस्तु ॥” ऐसें पढके क्रमसें जल, गंध, पुष्प, अक्षत, फल, धूप, दीपसें लोकपालोंका पूजन करे. ॥ तदपीछे अंजलिमें पुष्प लेके । “॥ॐ इंद्राग्नियमनिर्ऋतिवरुणवायुकुबेरेशाननागब्रह्मणो लोकपालाः सविनायकाः सक्षेत्रपालाः सुपूजिताः संतु सानुग्रहाः संतु तुष्टिदाः संतु पुष्टिदाः संतु मांगल्यदाः संतु महोत्सवदाः संतु॥" यह पढके लोकपालोपरि पुष्पारोपण करे।। तदपीछे पुष्पांजलि लेके। "अस्मत्पूर्वजा गोत्रसंभवा देवगतिगताः सुपूजिताः संतु सानुग्रहाः संतु तुष्टिदाः संतु पुष्टिदाः संतु मांगल्यदाः संतु महोत्सवदाः संतु॥" ऐसें कहके जिनपादाने पुष्पांजलिक्षेप करे.॥ तदपीछे फिर भी पुष्पांजलि लेके । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003207
Book TitleTattvanirnaya Prasada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages878
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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