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________________ तत्वनिर्णयप्रासादचोदनेत्यर्थः । चोदना नाम प्रेरणा जो है, सो क्रियाप्रति प्रवर्तकका वचन है । यथा । 'अग्निहोत्रं जुहुयात् स्वर्गकामइति ' । जो स्वर्गका कामी होवे सो अग्निहोत्र करे इति । सोही कथन करते हुए षट्दर्शनसमुच्चयके करनेवाले। “चोदनालक्षणो धर्मश्चोदना तु क्रियां प्रति प्रवर्तकं वचः प्राहुः स्वः कामोऽग्निं यथार्पयेत् । १।इति ।” प्रकर्षेण चोदया प्रचोदयाऽस्मिन्नस्तीति। अभ्रादिभ्य इति बहुवचनस्याकृतिगणज्ञापनार्थत्वात् अप्रत्यये प्रचोदयो वेदः तस्मात् 'प्रचोदयात् ' वेदसें वेदोपदेशको आश्रय लेके इत्यर्थः गम्ययपः कर्माधारे पंचमी । किंविशिष्टात् वेदात् । कैसे वेदसें ? (सवितुः) 'व' शब्दको-कादंबखडितदलानि व पंकजानि इत्यादि स्थानोंमें उपमानार्थ रूढ होनेसें 'सवितुः व ' आदित्यादिव । समस्त अर्थोकी प्रकाशकता करके भास्करतुल्य इत्यर्थः। तिस वेदसें हमारी मतियां-बुद्धियां अग्निआराधनादिविषे प्रवृत्त होवें । यत्र । जहां-जिस वेदमें (ॐ) ॐ ऐसा अक्षर विद्यमान है । ॐकारको वेदके आदिभूत होनेसें । कैसा सो ॐकार (भूर्भुवःखस्तत्) भुवनत्रयव्यापि । तब तो किंचित् अभिधेयसत्तासमाविष्ट वस्तु गुरुसंप्रदाययुक्तिकरके अन्वेषण करे मंत्र ॐकारशब्द प्रर्यायमेंही प्राप्त होता है । सर्वही प्रवादियोंने अनिंदितकरके इस ॐ. कारको संपूर्ण भुवनत्रयकमलाधिगममें बीजभूतकरके वर्णन करनेसें, यह, ॐकार ऐसे विचारने योग्य है, इसवास्तेही इसका असाधारण विशेषणांतर कहते हैं । ( आण्यं ) आण्यते उच्चार्यते इति आण्यं प्रणिधेयं प्रणिधान करनेयोग्य । किसको (वस्य)'उ' ब्रह्मा 'ऊ' शंकर 'अ' पुरुषोत्तम संधिके वशसें 'वं' ब्रह्मामहादेवविष्णुरूप पुरुषत्रय, तिनोनें भी ध्येय है, अर्थात् पूर्वोक्त तीनों पुरुषोंको भी ॐकार ध्यावने योग्य है। 'वस्येति कर्तरि षष्ठी कृत्यस्य वेति लक्षणात् । अथवा वेदात् वेदसें । केसे वेदसें 'सवितुः' उत्पादयितुः उत्पन्न करनेवालेसें । किसको उत्पन्न करनेवाला? 'ॐ' ॐकारको शेषं पूर्ववत् ॥ इतना विशेष है ' व ' शब्द वाक्यालंकारमें जानना । 'रे' आण्यं ' रेण्यं ' यहां आकारका लोप पूर्वोकवचनयुक्तिसें जानना । तब तो यह समुदायार्थ होता है। जिस वेद Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003207
Book TitleTattvanirnaya Prasada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages878
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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