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________________ ૨૨૨ तत्वनिर्णयप्रासादउत्तरपक्षः--तब तो एक २ अंशकी मुक्ति होनेसें संपूर्ण ब्रह्मकी कदापि मुक्ति नही होवेगी, इत्यादि अनेक दृषण होनेसें यह कथन भी मिथ्या है. तथा ब्रह्म जो है, सो ज्ञानस्वरूप है, तिसकों जड विराट्का उपादानकारण मानना यह युक्तिप्रमाणसें विरुद्ध है. क्योंकि, चैतन्यवस्तु कदापि जडका उपादन कारण नहीं हो सकता है ॥ विना परमाणुयोंके भूमिसृजन और शरीर रचे लिखा है, सो भी मिथ्या है. क्योंकि, परमाणुयोंकों नित्य मानना है सो तो अद्वैतमतकी जडकों काटना है, और विनाही परमाणुयोंके जडभूमि और जीवोंके शरीरोंका उपादानकारण ज्ञानस्वरूप ब्रह्म मानना, सो तो त्रिकालमें भी युक्तिप्रसाणसें कदापि सिद्ध नहीं होवेगा. जेकर युक्तिप्रमाणके विनाही मानोंगे, तब तो प्रेक्षावानोंकी पंक्तिसें बाहिर हो जावोंगे, और चार्वाक नास्तिक मतकी प्रवृत्ति भी वेदसेंही सिद्ध होवेगी. क्योंकि, पंजाब देशमें, फुल्लोरनगरके वासी, पंडित श्रद्धारामजीने सत्यामृतप्रवाह नामक ग्रंथ रचा है, तिसमें इस मतलबका लेख लिखा है-वेदमें दो तरेकी विद्या कही है, एक अपरा और दूसरी परा, तिनमेंसें संहिता ब्राह्मण उपनिषद प्रमुखमें प्रायः अपरा विद्याही कथन करी है, और परा विद्या प्रायः गुप्तही रक्खी है. मेरेकों परा विद्याकी खबर बहुत दिनोंसें थी, परंतु जगत् व्यवहारीयोंकी शंकासें मैनें प्रकाश नही करी, अब मैं अंतमें परा विद्याका स्वरूप लिखता हूं. यह जो ब्रह्मांड दिखलाइ देता है, यही ब्रह्म है. और श्रुति भी यही बात कहती है—“सर्वं खल्विदं ब्रह्म इत्यादि-" इदं पदकरके यह दृश्यमान जगत्ही ग्रहण करणा, यह जो पंचभौतिक जगत् है, सोही ब्रह्म है, इससे अतिरिक्त अन्य कोइ ब्रह्म नहीं है, यह ब्रह्मांड अनादि अनंत पंचभूतोंका एक गोलक है, इसकों न किसीने रचा है, और न कोइ इसकी प्रलय करनेवाला है, इस गोलकके अंदरही अनेक पदार्थ उत्पन्न होते हैं, और इसमेंही लय हो जाते हैं; जैसें समुद्रके जलमें अनेकतरंग चक्रबुहुद उत्पन्न होते हैं, और जलमेंही लय हो जाते है, न कोइ आता है, और न कोइ जाता है, पांचभौतिक देहसें अन्य जीवना Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003207
Book TitleTattvanirnaya Prasada
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj
PublisherAmarchand P Parmar
Publication Year1902
Total Pages878
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size20 MB
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