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सम्यक्त्वशल्योद्धार
८ वें प्रश्न में लिखा है कि "लकडहारे ने किस की पूजा की" इस का उत्तर साफ है कि बन में अपना माननीय जो देव होगा उस की उस ने पूजा की।
९ में प्रश्न में लिखा है कि "केशी गणधर ने परदेशी राजा को स्नान कर के बलिकर्म कर के देवपजा करने को जावे इस तरह कहा तो वहां प्रथम किस की पूजा की" । इसका उत्तर - प्रथम अपने घर में (जैसे बहुते वैष्णव लोग अब भी देवसेवा रखते हैं वैसे) रखे हुए देव की पूजा कर के पीछे बाहिर निकल कर बडे देवस्थान में पूजा कर ने का कहा है।
१०-११ में प्रश्न में "कोणिक राजा और भरत चक्रचर्ती के अधिकार में कयबलिकम्मा शब्द नहीं है तो उन्हों ने देवपूजा क्यों नहीं की"। इस का उत्तर-अरे देवानां प्रियो ! इतना तो समझो कि वन्दना निमित्त जाने की अति उत्सुकता के लिये उन्हों ने देवपूजा उस वक्त न की हो तो उस में क्या आश्चर्य है ? तथा इस तुम्हारे कथन से ही कयबलिकम्मा शब्द का अर्थ देवपूजा सिद्ध होता है । क्योंकि कयबलिकम्मा शब्द का अर्थ तुम ढूंढिये "पाणी की कुरलिंया करी" जैसा करते हो तो क्या स्नान करते हुए उन्हों ने कुरलिया न की होगी ? नहीं कुरलियां तो जरूर की होंगी, परन्तु पूर्वोक्त कारण से देवपूजा न की होगी। इसी वास्ते पूर्वोक्त अधिकार में कयबलिकम्मा शब्द शास्त्रकार ने नही लिखा है । इस तरह हर एक प्रश्न में कयबलिकम्मा शब्द का अर्थ देवपूजा ऐसा सिद्ध होता है । तथा टीका में और प्राचीन लिखत के टव्वे में भी कयबलिकम्मा शब्द का अर्थ देवपूजा ही लिखा है । तथा अन्य दृष्टान्तों से भी यही अर्थ सिद्ध होता है - यथा - १. श्रीरायपसेणी सूत्र में सूर्याभ के अधिकार में जब सूर्याभ देवता पूजा कर के
पीछे हटा तब बचा हुआ पूजा का सामान उस ने बलिपीठ ऊपर रक्खा ।
ऐसा सूत्र- पाठ है, उस जगह भी पूजोपहार की पीठिका, ऐसा अर्थ होता है। २. यति प्रति-कमणसूत्र (पगाम सिज्झाय) में मंडि पाहुडियाए बलि पाहुडियाए
यह पाठ है, इस का अर्थ भिखारियों के वास्ते चप्पणी वगैरह में रखा हुआ अन्न साधु को नहीं लेना । तथा देव के आगे धराया नैवेद्य, अथवा उस के निमित्त निकला अन्न साधु को नहीं लेना ऐसे होता है। ३. नाममाला वगैरह कोश ग्रन्थो में भी बलि शब्द का अर्थ पूजा कहा है - यत:
पूजार्हणा सपर्याएं उपहार बली समौ । ४. निशीथ चूर्णि तथा आवश्यक नियुक्ति में भी बलि शब्द से देव के आगे
धरने का नैवैद्य कहा है। ५. वास्तुक शास्त्र में तथा ज्योतिः शास्त्र में भी घर देवता की पूजा कर के
भूतबलि दे के घर में प्रवेश करना कहा है - यत :
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