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१५४. शांबकुमार का चरित्र ।
१५५. जरासंध के काली कुमारादि पांचसौ बेटे यादवों के पीछे आये ।
१५६. यादवों की कुलदेवी ने काली कुमार छला ।
१५७. रावण चौथी नरक में गया ।
१५८. कुंभकर्ण तथा इंद्रजित मोक्ष गये ।
१५९. कौरवपांडवों का युद्ध ।
१६०. रहनेमिने ५० स्त्रियां त्यागी' ।
१६१. चेडाराजा की पुत्री चेलणा ने जोगियों को जूत्तियां कतर के खिलाई ।
१६२. शालिभद्र की ३२ स्त्रियां ।
१६३. शालिभद्र की माता का नाम भद्रा ।
१६४. शालिभद्र के पिता का नाम गोभद्र ।
१६५. शालिभद्र की बहिन सुभद्रा ।
१६६. शालिभद्र का बहनोई धन्ना ।
१६७. शालिभद्र रोज एक एक स्त्री छोड़ता था ।
१६८. धन्नाजी की आठ स्त्रियां ।
१६९. धन्नाजी ने एक ही दिन में आठ स्त्रियां त्यागी । १७०. धन्ना और शालिभद्र ने संथारा किया ।
१७१. संथारे की जगह पर शालिभद्र की माता गई । १७२. धन्नाजी ने आंख नहीं टमकाई सो मोक्ष गया । १७३. शालिभद्रने आंख टमकाई सो मोक्ष नहीं गया । १७४ अवंती सुकुमाल का चरित्र ।
१७५. विजय शेठ और विजया शेठानी का अधिकार । १७६. प्रभु के निर्वाण बाद ९८० वर्ष सूत्र लिखे गये ।
१७७. बारह वरसी काल पड़ा ।
१७८. चंद्रगुप्तराज को सोलह स्वप्न आए ।
दुप्पसह साधु ।
१७९. पांचवें आरे के अंत में १८०. पांचवें आरे के अंत में १८१. पांचवें आरे के अंत में १८२. पांचवें आरे के अंत में
फल्गुश्री साध्वी । नागील श्रावक । सत्यश्री श्राविका ।
कितनेक ५०० भी कहते हैं ।
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सम्यक्त्वशल्योद्धार
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