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________________ २४ १५४. शांबकुमार का चरित्र । १५५. जरासंध के काली कुमारादि पांचसौ बेटे यादवों के पीछे आये । १५६. यादवों की कुलदेवी ने काली कुमार छला । १५७. रावण चौथी नरक में गया । १५८. कुंभकर्ण तथा इंद्रजित मोक्ष गये । १५९. कौरवपांडवों का युद्ध । १६०. रहनेमिने ५० स्त्रियां त्यागी' । १६१. चेडाराजा की पुत्री चेलणा ने जोगियों को जूत्तियां कतर के खिलाई । १६२. शालिभद्र की ३२ स्त्रियां । १६३. शालिभद्र की माता का नाम भद्रा । १६४. शालिभद्र के पिता का नाम गोभद्र । १६५. शालिभद्र की बहिन सुभद्रा । १६६. शालिभद्र का बहनोई धन्ना । १६७. शालिभद्र रोज एक एक स्त्री छोड़ता था । १६८. धन्नाजी की आठ स्त्रियां । १६९. धन्नाजी ने एक ही दिन में आठ स्त्रियां त्यागी । १७०. धन्ना और शालिभद्र ने संथारा किया । १७१. संथारे की जगह पर शालिभद्र की माता गई । १७२. धन्नाजी ने आंख नहीं टमकाई सो मोक्ष गया । १७३. शालिभद्रने आंख टमकाई सो मोक्ष नहीं गया । १७४ अवंती सुकुमाल का चरित्र । १७५. विजय शेठ और विजया शेठानी का अधिकार । १७६. प्रभु के निर्वाण बाद ९८० वर्ष सूत्र लिखे गये । १७७. बारह वरसी काल पड़ा । १७८. चंद्रगुप्तराज को सोलह स्वप्न आए । दुप्पसह साधु । १७९. पांचवें आरे के अंत में १८०. पांचवें आरे के अंत में १८१. पांचवें आरे के अंत में १८२. पांचवें आरे के अंत में फल्गुश्री साध्वी । नागील श्रावक । सत्यश्री श्राविका । कितनेक ५०० भी कहते हैं । १ सम्यक्त्वशल्योद्धार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003206
Book TitleSamyaktva Shalyoddhara
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAtmaramji Maharaj, Punyapalsuri
PublisherParshwabhyudaya Prakashan Ahmedabad
Publication Year1996
Total Pages212
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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