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( २७ ) योजन । बौद्धों ने इसे आलवी लिखा है। कनिघाम और हार्नल के विचारानुसार युक्तप्रान्त में उन्नाव जिले का नवलगांव ही प्राचीन' बालमिका है और नन्दलाल दे के अनुसार इटावा से २७ मील दूर उत्तरपूर्व में ऐरवा नामक गांव ।
महन-इस का उल्लेख महामायूरी में मिलता है, वहां पंक्ति इस प्रकार हैं: 'मर्दने मण्डपो यक्षो । कईयों ने मण्डप को स्थानवाची मानकर मर्दन को व्यक्तिवाची माना है, यह ठीक नहीं है । मर्दन स्थानवाची है और मण्डप व्यक्तिवाची। महामायूरी में वर्णिता मर्दन और श्रीमहावीरस्वामी के विहार का मद्दन एक ही है ।
पुरिमताल-आजकल का प्रयाग प्राचीन पुरिमताल है।
वनभूमि-लाढदेश के दो भाग किये जाते थे : वज्रभूमि और सुम्हभूमि। यहां हीरों की खान होने से यह वज्रभमि नाम से प्रसिद्ध था। विशेष के लिये हमारी 'प्राचीनभारतवर्षसमीक्षा' देखो।
वाणिज्य ग्राम-आजकल यह बनियागांव नाम से प्रसिद्ध है, बसाढ के निकट एक गांव है।
तोसलि-अाजकल का धौलिस्थान है यहां अशोक का लेख है। खण्डगिरि-उदयगिरि के निकट है।
मोसलि-कलिंगदेश का एक विभाग था भरत के नाट्यशास्त्र में इसका उल्लेख है।
कौशाम्बी--वत्स अथवा वंश की राजधानी थी। आज कल कोसम नाम से यह प्रसिद्ध है जो कि इलाहाबाद से ३० या ३१ मील हैं
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