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________________ नंगला-यह कोशल में था, यहां वेदशास्त्र के बड़े बड़े पण्डित रहते थे। बौद्धसाहित्य में यह इच्छानंगल नाम से प्रसिद्ध है। लाढ-इस की राजधानी कोटिवर्ष थी। आधुनिक बानगढ़ हो प्राचीन कोटिवषं है। इसके दो भाग थे उत्तरराढ और दक्षिणराढ, इन दोनों के बीच अजयानदी बहती थी । यह गुजरातदेशी लाट से भिन्न देश है। यह प्रदेश बंगाल में गंगा के पश्चिम में था, अाजकल के तामलुक, मिदनापुर, हुगली और बर्दवान जिले इस प्रदेश के अन्तर्गत थे । मुर्शिदाबाद जिले का कुछ भाग इस की उत्तरी सीमा के अन्तर्गत था । भदिया-अङ्गदेश का एक नगर था। भागलपुर से ८ मील दक्षिण में स्थित भदरिया गांव प्राचीन भदिया है । जम्बूसंड-यह गांव वैशाली से कुशीनारा वाले मार्ग पर अम्बगांव और भोगनगर के बीच में था । वैशाली से चौथा पड़ाव था। वैशाली-वर्तमान बसाढ़ प्राचीन वैशाली है । यह स्थान पटना से उत्तर की ओर २७ मील पर है। बौद्धग्रन्थों में वैशाली से गंगा की दूरी ३ योजन बताई गई है। विशेष विवरण के लिये हमारा 'वैशाली' ग्रन्थ देखो। मगध-श्रीमहावीरस्वामी के समय में मगध के पूर्व चम्पानदी, दक्षिण में विन्ध्यपर्वत, पश्चिम में सोननदी, और उत्तर में गंगानदी थी। यही इस देश की सीमा थी । इस की राजधानी राजगृह थी। पालभिका-यह सावत्थी से राजगृह जाने वाली सड़क पर था। सावत्थी से यह ३० योजन था और बनारस से सम्भवतः १२ Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003205
Book TitleVeer Vihar Mimansa
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijayendrasuri
PublisherKashiram Saraf Shivpuri
Publication Year1947
Total Pages44
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size2 MB
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