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परिशष्ट
___ जैनागमों, अन्यमत के शास्त्रों, और ऐतिहासिक साधनों में डोराडाल दिनभर मुँहपत्ती मुँहपर बाँधने का कोई भी प्रमाणिक प्रमाण नहीं मिलता है लेकिन सर्वत्र हाथ में मुँहपत्ती रखने के एवं बोलते समय मुँह के सामनेरख कर यत्ना पूर्वक बोलनेके प्रमाण प्रचुरता से दृष्टिगोचर हो रहे हैं और वे हैं भी सभ्य समाज के विश्वसनीय । इस हालत में भी हमारे भाई अपनी कृत्रिम मान्यता को सत्य ठहराने के लिये, ऐतिहासिक प्रमाणों की परवाह न करते हुए, जैनागमों के व अन्यधर्मियों के शास्त्रों के बिलकुल झूठे अर्थ कर, बिचारे भद्रिक लोगों को धोका देने का मिथ्या प्रयत्न कर रहे हैं । फिर भी यह एक आश्चर्य की बात है कि कई विद्वान एवं लिखे पढ़े कहलाते हुए भी मिथ्या प्रवृति के लिए बुगलों की भांति मौन साधन कर बैठे हैं। ___ आगे चल कर हम यह भी देख रहे हैं कि कई अज्ञ लोग तो पूर्वाचार्यों रचित ग्रन्थों के नाम लेकर बिचारे भोले भाले लोगों को यों वहका रहे हैं कि मुँहपत्ती में डोराडाल उसे मुँहपर केवल हम ही नहीं बाँधते हैं पर मूर्तिपूजक आचार्य भी इसी प्रकार बाँधते थे। तब ही तो उन्होंने अपने प्रन्थों में इस विधान
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