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ऐतिहासिक प्रमाण।
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महत्तर३, सिद्धर्षि४, सत्यमित्रसूरि५, देवगुप्ताचार्यादि६ ये सब मूर्तिपूजा प्रचारक और हाथ में मुँहपत्तो रखने वाले ही थे। इस शताब्दी में चैत्यवासियों का जोर बढ़ जाने से हरिभद्रसूरि ने उनके विरोध में पुकार उठाई पर मूर्ति या मुँहपत्ती के विषय में किसी ने एक शब्द भी उच्चारण नहीं किया कि इस समय मूर्ति नहीं मानने वाला या मुँहपत्ती मुँहपर बाँधने वाला कोई व्यक्ति है ? भगवान् महावीर की बारहवीं शताब्दी-- ___ रविप्रभसूरिख, स्वातिप्राचार्य८, सिद्धसूरि९, नन्नप्रभाचार्यादि१० ये सब मूर्ति पूजक और हाथ में मुंहपत्ती रखने वाले ही थे। भगवान् महावीर के बाद तेरहवीं शताब्दी
प्राचार्यबप्पभट्टसूरि १०, शीलगुणसरि११, कक्कसरि१२, ३-आप चूर्णिकार के नाम से मशहूर हैं । ४-उमितिभव प्रपंच कथा के रचयिता। ५-आपके समय में पूर्व ज्ञान का विच्छेद हुआ। ६-आपने हजारों नये जैन बना अनेक मन्दिरों की प्रतिष्ठा करवाई। ७-आप महान् प्रभाविक हुए। ८-लापने पूर्णिमा के एवज़ में पाक्षी चतुर्दशी स्थपित की। ९-आप महान् धर्म प्रचारक एवं प्रभाविक हुए । १०-ग्वालियर के राजा आम को जैन बनाकर धर्म का प्रचार करवाया। भगवान् ऋषभदेव के मन्दिर की प्रतिष्टा करवाई। . 1-आप पाटण संस्थापक राजा बनराज चावडा के गुरू थे। पंचासरा पार्श्वनाथ के मन्दिर की प्रतिष्ठा भी आप ही ने करवाई थी।
१२-अपने लाखों अजैनों को जैन बनाके उपकेशवंश की वृद्धि और जैन धर्म का प्रचार बढ़ाया।
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