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क्या ती० मुँ० मुँ० बाँधते थे ?
बाहुसूरि२ स्थुलीभद्र ये सब मूर्तिपूजक और हाथ में मुँहपत्ती रख्नने वाले ही थे ।
भगवान् महावीर की तीसरी शताब्दी --
श्राचार्य महागिरि सुहस्तीसूरि ३ ककसूरि४ आदि थे सत्र आचार्य हाथ में मुँहपत्ती रखने वाले ही थे ।
भगवान् महावीर की चौथी शताब्दी
आचार्य सुस्थी सूरि५, सुप्रतिबुद्धसूरि६, दीनसूरि, देवगुप्तसूरि७, आदि ये सब मूर्तिपूजा के प्रचारक और हाथ में मुहपत्ती रखने वाले ही थे ।
२- आप ने सम्राट चन्द्रगुप्त को जैन बना कर भारत के बाहर जैनधर्मं का प्रचार करवाया। तीन छेद सूत्र और दश नियुक्तियों का निर्माण किया जिनमें से आज भी कई विद्यमान हैं ।
- सम्राट सम्प्रति को जैन बनाकर मेदनी जैन मन्दिरों से मंडित करवाई तथा सम्राट ने अनार्य प्रदेशों में जैन धर्म की ध्वजा फहराई | ४ - आपने कच्छ देश में विहार कर लाखों नये जैन बनाये और हजारों जिन बिंबों की प्रतिष्ठा करवा के जैनधर्म की अबाध उन्नति की ।
५ - आप श्री ने कलिंगपति महाराजा खारवेल को जैन धर्म की दीक्षा देकर जैन धर्म की बड़ी भारी प्रभावना करवाई जिनका शिलालेख उडीसा प्रान्त के खंडगिरि की हस्ती गुफा से मिला है। जिसकी प्राचीनता और महत्वता ने भारत और योरोप में खूब चहल पहल मचा दी है ।
६ - आपने सूरिमंत्र का एक करोड़ जाप किया जिससे निग्रन्थगच्छ का नाम कोटीक गच्छ हुआ आप महान् प्रभाविक पुरुष हुए।
७ - आप श्रीमान् ने सौराष्ट्र लाटादि प्रदेशों में भ्रमण कर लाखों
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