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भू० ५० वि० प्रश्नोत्तर -श्रीप्रभव्याकरण सूत्र पृष्ट ८ में चैत्य का अर्थ प्रतिमा
किया है। -श्री प्रश्नव्याकरण सूत्र पृष्ट १२२ में चैत्य का अर्थ प्रतिमा
किया है। (२)-स्थानकवासी साधु जेठमलजी ने समकितसार प्रन्थ के
पृष्ट १०६ पर चैत्य का अर्थ प्रतिमा किया है। आगे १२४ पृष्ठ पर भी चैत्य का अर्थ प्रतिमा पुनः पृष्ठ १२६ पर भी
चैत्य शब्द का अर्थ प्रतिमा ही किया है। (३)-स्थानकवासी समाज के प्रसिद्ध विद्वान् स्वामि रत्नचन्द
जी शतावधानीजी ने अपने अर्द्धमागधी कोश में चैत्य का अर्थ इस प्रकार किया है कि
"अरिहंत चेइया (पु० ना०) अर्हचैत्य-अरिहंत संबंधी कोइपण स्मारक चिंह्न" (४)--आप स्वयं पूज्यजी ने भी इसी उपासकदशांग सूत्र के ___पृष्ठ ६ पर पूर्णभद्र चैत्य का अर्थ मन्दिर ही किया है ।
इसके अलावा विद्वानों ने इस बात को स्वीकार कर ली है कि चैत्य का अर्थ प्रतिमादि स्मारक चिन्ह ही होता है यदि विशेष देखने की इच्छा हो तो उन्हें "मूर्तिपूजा का प्राचीन इतिहास" नामक पुस्तक के पृष्ट ९९ से देखना चाहिये । ___ प्र०-हमारे पूज्यजी महाराज ने उपासकदशांग सूत्र में लिखा है कि वीतराग देव की सावध पूजा करने वाले संसार में चिरकाल भ्रमण करेगा ?
उ०-आप ही बतलाइये कि सावध पूजा किसको कहते हैं ? उ-जिस पूजा में हिंसा होती हो ?
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