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श्रीरत्नप्रभाकर ज्ञान पुष्पमाला
___ फलोदी ( मारवाड़) पूज्यपाद मुनि श्री ज्ञानसुन्दरजी महाराज साहिब के सदुपदेश से वि० सं० १९७३ अक्षय तृतीया के दिन शुभ मुहुर्त में इस संस्था का जन्म हुआ उस समय मुनि श्री जी के उपदेश से फलोदी श्रीसंघ की ओर से उदारता पूर्वक प्रायः १५००) का चन्दा इकट्ठा हुआ था । यद्यपि यह रकम ऐसी संस्था के लिए बहुत स्वल्प ही थी तद्यपि शुभ भावों से किया हुआ यह कार्य एवं झान दान देने से निरन्तर बढ़ता ही गया और इस संस्था की नींव इतनी सुदृढ़ होगई कि आज तक इस संस्था से छोटी बड़ी १७१ पुस्तकें प्रकाशित होकर उनकी वीन लाख से भी अधिक प्रतिएं भारत के प्रत्येक प्रान्त में बड़े चाव से पढ़ी जारही हैं इसका खास कारण यही है कि इस संस्था द्वारा सभी विषयों की पुस्तकें जैसे:तात्विक, ऐतिहासिक, श्रोपदेशिक, विधिविधान, भक्तिरस, समाज सुधार और सामयिक चर्चा आदि विषयों की छपतो हैं । इस संस्था का लक्ष्य बिन्दु व्यापारिक नहीं पर ज्ञान प्रचार का है। इसी कारण इस संस्था से प्रकाशित पुस्तकें बहुत ही स्वल्प ( सस्ते ) मूल्य पर दी जाती हैं और अधिकांश तो भेंट ही दी गई हैं । एकबार साधु साध्वियों, ज्ञानभण्डार और लाइनरियों को ४५ पुस्तकें भेंट तथा अन्य सबके लिए केवल १) रु० मूल्य लेकर दीगई थी । यदि इस संस्था का २० वर्षों का हिसाब देखा
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