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( ३२ ) १०१) , जोधपुर के भैरूवाग वाले मन्दिर में । १००) ,, किशनगढ़ मन्दिर के जीर्णोद्धार में । १००) ,, श्री चींचोड़ पाठशाला में ।
७१) ,, दादाजी का जीवन छपवाने में । ५१) , सोजत के मन्दिर के जीर्णोद्धार में। ४००), अभी हाल ही में "मूर्तिपूजा का प्राचीन इतिहास"
छपवाने में। नके अलावा भी पावापुरी और कुण्डलपुर में यात्रियों की सुविधा के लिए धर्मशालाएं बनवाई । “राइदेवसि प्रतिक्रमण" विधि सहित छपवा के मुफ्त में वितीर्ण कराया । और भी अनेक कामों में आपने अपनो चललक्ष्मी का सदुपयोग किया है।
आप जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक तपागच्छ के श्रद्धा सम्पन्न श्रावक हैं । पर दान करते समय आप कोई संकीर्ण वृत्ति नहीं रखते हैं जो आया और आवश्यकता देखी उसे यथा शक्ति देने की आप श्रीमान् की प्रवृत्ति आज भी विद्यमान है । ऐसे उदार हृदय वाले परोपकारियों को मैं धन्यवाद देना अपना प्रथम कर्तव्यः सममता हूँ।
विनीत रूपचन्द मेहता पाली (मारवाड़)
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