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________________ ___व० प्रश्नोत्तर १२० है न ? कि यह मुँहपत्ती किस समुदाय या किस टोला के आम्नाय की थी। क्योंकि यदि छोटी मुंहपत्ती थी तो वह देशो साधुओं की निशानी है, और बड़ी हो तो प्रदेशी साधुओं का मार्क है तथा लम्बी थी तो तेरह पन्थियों की निशानी होती है। कहिये । सुभद्रा के मुहपत्ती कौन सी था। . प्र०-अजी महाराज ! सबसे पहिले तो छोटी मुंहपत्ती ही थी, बाद में प्रदेशी साधुओं ने अपनी उत्कृष्टता बतलाने के लिए बड़ी मुँहपत्ती और तेरहपंथियों ने लम्बी मुँहपत्तो बना डाली है। उ.-तो क्या आप देशो साधुओं के भक्त हैं ? प्र०-इससे आपको क्या मतलब है । उ०-मतलब कोई नहीं; केवल आप छोटी महपत्ती का पक्ष लेते हो इससे कहता हूँ। कि आप देशी साधुओं के भक्त है। प्र०-इसमें पक्ष करने की क्या बात है। हमारे पज्यजी के कई एक फोटू विद्यमान हैं जिनमें छोटी मुंहपत्ती हैं और श्रीशंकर मुनिजी ने सचित्र मुखवस्त्रिका निर्णय"नामक पुस्तक में भगवान ऋषभदेव और गजसुखमाल आदि के, तथा प्र० ब० मुनिश्रीचौथमलजी ने स्वलिखित "भगवान् महावीर यांचा सन्देश" नामक पुस्तक में भगवान महावीर के मुंहपर भी डोरा सहित छोटो मुँहपत्ती बँधाई है जो देशी साधु बाँधते हैं। ____उ०-पर भाई साहिब ! इस टीका के लिखने वाले पज्यजी तो प्रदेशी साधु हैं। भला वे इतनी बड़ी सेणीश्राविका को छोटी मुंहपत्ती बँधाकर अपने समुदाय में से कैसे जाने देंगे; यह भी आपने कभी सोचा है ! प्र०-खेर ! कुछ भी हो यह हम आपस में निपट लेंगे, पर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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