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________________ मू०पू० वि० प्रभोत्तर ३९८ साथ पूंजणी श्रीर डोरासहित मुँहपत्ती से शोभायमान करके हो भेजते थे, इससे यह सिद्ध होता है कि मुँहपत्ती में डोराडान उसको मुँहपर बाँधना बहुत प्राचीन समय से प्रचलित है। इस हालत में आप इस रिवाज को नया क्यों बतलाते हो ? . ___उ०--पूंजणी और डोरासहित मुखवस्त्रिका से शोभायमान कर ससुराल भेजने का अर्थ क्या होता है ? क्या हाथ में पूंजी और मुंहपर डोरावाली मुँहपत्ती बन्धाकर उस सुभद्रा को सुशोभित कर ससुराल भेजी; यही अर्थ होता है न ? प्र-कुछ देर चुप रह कर और सोचकर बोला कि नहीं जी, ऐसा कभी हो सकता है । पूंजणी आदि उसके साथ में दी थी। उ-तो उसने उन्हें साथ में रक्खा ? या बक्स में बन्द कर दिया । '' प्र-रत्न आदि जेबरों के साथ उसको भी बक्स में बन्द कर रख दिया होगा। ___उ०-तो फिर 'शोभायमान" करके लिखा है इसका क्या अर्थ हुआ ? क्योंकि वस्त्राऽऽभूषण तोधारण करने से सुशोभित होता है यदि कोई वस्त्र आभूषणों को बक्स में बन्द कर बारात आदि में आय तो क्या कोई बराती उसे शोभायमान कह सकता है ? प्र--नहीं । वस्त्र आभूषण तो पहिनने से ही शोभायमान दीखता है। _____उ०-तब पूंजणी, और डोरासहितमुँहपत्ती को बक्स में रख कोई कैसे शोभायमान दीख सकता है ? . प्र०--तो मानलो कि सुभद्रा ने पूंजणी हाथ में और डोरा सहित मुंहपत्ती मुंहपर बाँध ली होगी और इसी से वह शोभाय Jain Education International For Private & Personal Use Only ___www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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