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मू० पू० वि० प्रश्नोत्तर १२-गोचरी-हाथ की कलाई पर । झोली हाथ में लटकती, पात्रों
मोली, गुप्त पात्र और । की प्रसिद्धि, पडिला में तो जीव-दया निमित्त झोली समझते भी नहीं हैं।
पर पडिला रखते हैं। १३-वासी विद्वल सुवा सुतक | इन दोषों से कोई भी दोष हो
और ऋतुधर्म वाली के गोचरी ले लेते हैं जो निषेध हाथ से या घरों से भिक्षा किया कुल के वहां भी जा नहीं लेते हैं।
कर भिक्षा ले लेते हैं। १४-गौचरी से आकर आलो- कार्य वही करते हैं पर विधि
चन विधि पूर्वक करते हैं। नहीं जानते हैं। १५-जगचिन्तामणिका चैत्य- इस क्रिया स तो अज्ञात ही हैं
वन्दन कर मुँहपत्ति का केवल थोडासा शब्दों से प्रतिलेखन पूर्वक पञ्चक्खांन पञ्चक्खांन पार लेते हैं ।
पारते हैं। १६-गौचरी करने के बाद बिना ०००इस बात को ये लोग सम
चैत्यवन्दन किये पानी तक मते भी नहीं हैं क्रिया ता
भी नहीं पी सकते हैं। कहाँ रही। १७-पठन पाठन ।
पठन पाठन । १८-विधिपूर्वक प्रतिलेखन स्व. प्रतिलेखन करते हैं पर विधि
द्याय प्रत्याख्यान थंडिल पूर्वक नहीं, स्वद्याय का भी शुद्धि।
नियम नहीं, थांडिल शुद्धि
से तो अज्ञात ही हैं। १९-देववन्दन ( तीर्थंकरों की ०००नहीं करते हैं।
स्तुति)
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