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मू० पू० वि० प्रश्नोत्तर भी साथ में आदमी थे और उदार गृहस्थों ने रास्ते में गौचरी के लिये रुपये बँधाये थे । इस प्रकार दक्षिण विहारी साधुओं का हाल है और इस अपवाद से तेरहपन्थी साधु भी बच नहीं सके। उनके पूज्य जी के पीछे गाड़े और आदमी रहकर भोजन बनाके पूज्यजी के पात्र-पोषण करते हैं । यदि आप इसको अपवाद मानेंगे तो फिर दूसरों की व्यर्थ निन्दा क्यों ? संवेगियों में तो चतुर्विध-संघ का जाना आना कदीमी से है, पर आपने तो यह नया ही मार्ग निकाला है, इस पर भी दूसरों को निन्दा करना आपने क्यों पसन्द की है ?
प्र०-आपके साधु हाथ में डण्डा क्यों रखते हैं ?
उ.-यों तो साधुओं को गमनाऽगमन समय डण्डा रखना शास्त्रकारों ने फरमाया ही है, पर डण्डा रखने में प्रत्यक्ष कितने फायदे हैं---शरीर-रक्षा, संयम-रक्षा, नदी वगैरह उतरते पानी का माप, ब्रह्मचर्य की रक्षा, जीव-दया, जङ्गल में अकस्मात साधू बीमार हो जाय तो झोली कर उठाने में भी काम आता है और पूर्वोक्त कारणों में डण्डा रखना आप भी पसन्द करते हो, इतना ही क्यों आपके साधु रखते भी हैं। । प्र०-कई लोग कहते हैं कि धोवण पीना कठिन है, इसलिये संवेगी साधु गरम पानी पीते हैं ? . उ०-यह तो जिन्होंने अनुभव किया है वेही जानते हैं, क्योंकि धोवरण से इन्द्रियों को पोषण मिलता है । तब गरम पानी से इन्द्रियों का दमन होता है । जो वर्तमान धोवण होता है, इसमें अपकाय के तो क्या, पर त्रसजीव भी रहते हैं, जिसको फुवारा' कहते हैं और उनको तालाब कुंआ के किनारे गीली
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