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मू० ५० वि० प्रश्नोत्तर
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आज लौंकाशाह के मत को पाँच लाख मनुष्य कैसे मान
__उ-जन संख्या अधिक होने से ही किमी मत की सत्यता नहीं कही जाती है। यदि ऐसा हो है तो मुसलमान धर्म को भी
आपको सत्य मानना पड़ेगा, क्योंकि उसको तीस करोड़ मनुष्य मानते हैं । दूसरा आप अपनी संख्या पाँच लाख की कहते हैं यह भी दुनियाँ को धोखा देना ही है, कारण कुल १३ तेरह लाख के करीबन जैनी हैं, जिसमें दिगम्बर कहते हैं कि हम छः लाख है, तेरह पन्थी कहते हैं कि हम २ लाख हैं
और आप कहते हो कि हम ५ लाख हैं, इस प्रकार ६.२ और ५ कुलतेरह लाख तो तुम ही हो गये तो फिर श्वेताम्बर मूर्ति-पूजक समाज का तो नाम ही न रहा। धन्य है आपकी सत्यता को । ___जैन श्वेताम्बर मूत्ति-पूजक समुदाय के भारत भर में ४०००० मन्दिर हैं, यदि एक मन्दिर के कम से कम १५-१५ उपासक ही गिने जाँय तो भी मूर्ति-पूजक जैनों की संख्या ६ लाख होने में कोई सन्देह नहीं रहता है । वास्तव में विचार किया जाय तो भारत में ४ लाख दिगम्बर, ६ लाख श्वेताम्बर मूर्तिपूजक और ३ लाख स्थानकवासी और तेहरपन्थो जैनी होना सम्भव है। कारण गोड़वाड़ और सिरोही राज्य में एक लाख जैनों में ५०० मनुष्य शायद् स्थानकवासी हैं, गुजरात प्रान्त मैं प्रायः जैन मूर्ति पूजक ही हैं, केवल अहमदाबाद में ४०००० मूर्तिपूजक जैन हैं, इसी प्रकार बम्बई में मी ४०००० मूर्तिपूजक जैन हैं । और भी भावनगर, जामनगर, सूरत, भरूच, बड़ोदा, पाटण, मैहसाणा आदि बड़े २ नगरों में प्रायः श्वेताम्बर मूर्तिपूजकों की ही वस्ती है।
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