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मू० पृ० वि० प्रश्नोत्तर
था जिसको आप उदय मानते हैं । वास्तव में महावीर की राशी पर भस्मगृह आया और उसकी २००० वर्षों की स्थिति होने के कारण श्रमण संघ की उदय व पूजा प्रतिष्ठा नहीं हुई तथापि समय समय के बीच शासन का उदय होता ही रहा जैसे
( १ ) आचार्य रत्नप्रभसूरि आदि ने लाखों जैनों को जैन बनाके शासन की महान् प्रभावना की ।
(२) आचार्य भद्रबाहु ने राजा चन्द्रगुप्त को जैम बनाके भारत के बाहर अनार्य देशों में जैन धर्म का झण्डा फहराया ।
(३) आचार्य सुहस्तीसूरि ने सम्राट् सम्प्रति को जैन बनाके भारत और अनार्य देशों में जैन धर्म का प्रचार करवाया । तथा मन्दिरों से मेदनी मरित करवाई ।
( ४ ) श्राचार्य सुस्थीसूरि ने महामेघवाहन महाराजा खारवेल को जैन-धर्मी बना के जैनधर्म की भूरि-भूरि प्रभावना करवाई।
( ५ ) श्राचार्य सिद्धसेन दिवाकर ने राजा विक्रम को जैन बनाके जैन धर्म का प्रचार किया ।
( ६ ) श्राचार्य बप्पभट्ट सूरि ने कन्नौज के राजा श्रम आदि को जैन बनाये ।
(७) श्राचार्य शीलगुणसूरि ने पाटण का राजा बनराज को जैन बना के जैन-धर्म का प्रचार एवं प्रभावना की ।
( ८ ) कजिकाल सर्वज्ञ भगवान् हेमचन्द्रसूरि ने राजा कुमारपाल को प्रतिबोध कर जैन बना के द्वारा देश में अहिंसा का प्रचार किया ।
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( ९ ) इसी प्रकार आचार्य भद्रबाहु सिद्धसेन दिवाकर मल्ल
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