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________________ २७५ मू० पृ० वि० प्रश्नोत्तर था जिसको आप उदय मानते हैं । वास्तव में महावीर की राशी पर भस्मगृह आया और उसकी २००० वर्षों की स्थिति होने के कारण श्रमण संघ की उदय व पूजा प्रतिष्ठा नहीं हुई तथापि समय समय के बीच शासन का उदय होता ही रहा जैसे ( १ ) आचार्य रत्नप्रभसूरि आदि ने लाखों जैनों को जैन बनाके शासन की महान् प्रभावना की । (२) आचार्य भद्रबाहु ने राजा चन्द्रगुप्त को जैम बनाके भारत के बाहर अनार्य देशों में जैन धर्म का झण्डा फहराया । (३) आचार्य सुहस्तीसूरि ने सम्राट् सम्प्रति को जैन बनाके भारत और अनार्य देशों में जैन धर्म का प्रचार करवाया । तथा मन्दिरों से मेदनी मरित करवाई । ( ४ ) श्राचार्य सुस्थीसूरि ने महामेघवाहन महाराजा खारवेल को जैन-धर्मी बना के जैनधर्म की भूरि-भूरि प्रभावना करवाई। ( ५ ) श्राचार्य सिद्धसेन दिवाकर ने राजा विक्रम को जैन बनाके जैन धर्म का प्रचार किया । ( ६ ) श्राचार्य बप्पभट्ट सूरि ने कन्नौज के राजा श्रम आदि को जैन बनाये । (७) श्राचार्य शीलगुणसूरि ने पाटण का राजा बनराज को जैन बना के जैन-धर्म का प्रचार एवं प्रभावना की । ( ८ ) कजिकाल सर्वज्ञ भगवान् हेमचन्द्रसूरि ने राजा कुमारपाल को प्रतिबोध कर जैन बना के द्वारा देश में अहिंसा का प्रचार किया । , ( ९ ) इसी प्रकार आचार्य भद्रबाहु सिद्धसेन दिवाकर मल्ल Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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