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मू० पृ. वि. प्रभोत्तर
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भस्मगृह उतरा उसी समय लौकाशाह ने धर्म का उदय किया, क्या यह बात सत्य है ?
उ०-बतलाइये, लौकाशाह ने धर्म का क्या उदय किया ? धर्म के उदय के कारण जैनमन्दिर, मूर्तियां और शास्त्र थे उनका तो लौं काशाह ने सबसे पहले नाश ( खण्डन ) किया, इस हालत में तो लौकाशाह को धर्मनाशक कहना भी अनुचित नहीं है। दूसरे, आचार्य रत्नप्रभसुरि से जैनों में शुद्धि की मशीन जोर से चली श्राती थी। वि० सं० १५२५ तक तो अजैनों को जैन बनाये जा रहे थे, बाद लौंकाशाह के उत्पात के कारण वह मशीन बन्द हो गई जैनों का संघ संगठन, न्यातिशक्ति बढ़ी मजबूत थी पर लौकाशाह के कदाग्रह के कारण प्रामोग्राम फूट, कुसम्प और धड़ाबन्धी के कारण वे शक्तियां छिन्न-भिन्न हो गई । जैनों की वीरता, उदारता, परोपकारता और अहिंसा की विश्व में एक बड़ी भारी छाप थी। लौकाशाह की मलीन क्रिया एवं संकुचित विचारों से और कायरता बढ़ाने वाली रूक्ष दया ने जैनों का तप तेज फीका कर दिया, लौकाशाह के समय जैनों की संख्या ७००००००० सात करोड़ की थी वह घर की फूट कुसम्प के कारण आज बारह तेरह लक्ष की रह गई। जो जातियां हमारे आधीन में रहती थीं वह ही आज हर प्रकार से हमें दबा रही हैं । यह सब लौंकाशाह के उत्पात काही कारण है । बतलाइये लोकाशाह ने मुसलमान संस्कृति का अनुकरण कर जैनों को अपना इष्ट छुड़ाने के सिवाय क्या उद्योत किया ? क्या पूर्वाचार्यों के अनुसार किसी राजा महाराजा को प्रतिबोध कर जैनी बनाया था ? क्या कोई तत्वज्ञान विषयक मौलिक प्रन्थ बना के किसी विषय पर प्रकाश डाला
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