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मू० पू० वि० प्रश्नोत्तर
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सूत्र
फल किसी में मोक्ष का कारण बतलाया हो तो आप भी मूलसूत्र पाठ बतलावें ।
प्र० - सूत्र पाठ तो हम बतला ही देंगे पर आप जरा हृदय में विचार तो करें कि साधु को वन्दन करना मोक्ष का कारण है तब परमेश्वर की मूर्त्तिपूजा में तो नमोत्थुर्गादि पाठों से तीर्थङ्करों को वन्दन किया जाता है क्या साधुओं को वन्दन जितना ही लाभ तीर्थङ्करों के बन्दन पूजन में नहीं है ? धन्य है आपकी बुद्धको ।
प्र० - हो या न हो यदि सूत्रों में पाठ हो तो बतलाइये | उ० – सूत्र श्री रायपसणीजी में मूर्तिपूजा का फल इस • प्रकार बतलाया है कि
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(१) हियाए - हित का कारण
( २ ) सुहाए - सुख का कारण
( ३ ) रकमाए – कल्याण का कारण
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( ४ ) निस्साए - मोक्ष का कारण (५) अनुगमिताए- भवोभव साथ में
इसी प्रकार आचारांग सूत्र में संयम पालने का फल भी पूर्वोक्त पांचों पाठ से यावत् मोक्ष प्राप्त होना बतलाया है इसपर साधारण बुद्धिवाला भी विचार कर सकता है कि वन्दन पूजन और संयम का फल यावत् मोक्ष होना सूत्रों में बतलाया है जिसमें वन्दन और संयम को मानना और पूजा को नहीं मानना सिवाय अभिनिवेश के और क्या हो सकता है ?
प्र० - यह तो केवल फल बतलाया पर किसी श्रावक ने प्रतिमा पूजी हो तो ३२ सूत्रों का मूलपाठ बतलाओ ?
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