SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 385
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २६९ मू० पु० वि० प्रश्नोत्तर - भगवान के समवसरन में एक योजन का मण्डल में ढीचणः प्रमाण फूलों के ढेर लगते थे। क्या यहां पर भी आप सचित अचित का सवाल उठा सकते हो ? कदापि नहीं। प्र०-पानी से साध्वी को निकालना या गुरुवन्दन करने में तो भगवान की आज्ञा है ? | उ०-तो मूर्तिपूजा करना कौनसी हमारे घर की बात है वहाँ भी तो भगवान की ही आज्ञा है । प्र०-भगवान ने कत्र कहा कि तुम हमारी पूजन करना । उ०-साधुओं ने कब कहा कि तुम हमको वन्दन करना ? प्र०-साधुओं को वन्दन करना तो सूत्रों में कहा है। उ०-मूर्तिपूजा करना भी तो सूत्रों में ही कहा है। प्र०-बतलाइये किस सूत्र में कहा है कि मूर्तिपूजा से मोक्ष होती है ? ___ उ०-आप भी बतलाइये कि साधुओं को वन्दन करने से मोक्ष की प्राप्ति का किस सूत्र में प्रतिपादन किया है। प्र०-उधवाई सूत्र में साधुओं को वन्दना करने का फल यावत् मोक्ष बतलाया है। जैसे कि (१) हियाए-हित का कारण (२) सुहाए-सुख का कारण (३) रकमाए-कल्याण का कारण (४) निस्सेसाए-मोक्ष प्राप्ति का कारण (५) अनुगमिताए-भवोभव में साथ साधु वन्दन का फल तो मोक्ष बताया है पर मूर्तिपूजा का Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy