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मू० पू० वि० प्रश्नोत्तर
प्र० - आपही बतलावें कि पूजामें पेटी तबला और ताल के सिवाय आप करते ही क्या हैं ।
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उ० – पेटी तबला और तालादि तो संगीतके साधन हैं जैसे सुरियाभदेवने प्रभु महावीर के सामने नाटक किया था, उस समय ४९ जाति के वाजित्र थे ।
प्र० - आप बाजे बजाते हो उसमें क्या गाते हो इसकी मालूम नहीं पड़ती है।
उ०- तबही तो आप प्रभुपुजाकी निंदा कर कर्म बन्धन करते हो | कभी पूजा में श्राकर सुनो कि हम क्या करते है । जैसे स्नान पूजा में तीर्थंकरों के जन्म महोत्सव गाते हैं जैसे गणधरोंने जीवाभिगम सूत्र में गाया था। नौपदजी की पूजा में अरिहन्त सिद्ध, आचार्य, उपाध्याय, साधु, ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप का वर्णन' आता है और हम लोग बड़े ही आनन्द से उनके गुण गाते हैं। इसी प्रकार बीसस्थानकजी की पूजा में तीर्थकर नाम बन्धने के बीस स्थानक के गुण हैं नीनाणवे प्रकार की पूजा में तीर्थशत्रुञ्जय पर अनेक मुनियों ने मोक्ष प्राप्त की उनके गुण, चौसठ प्रकार की पूजा में आठ कमों से मुक्त होने की प्रार्थना, बारह व्रत की पूजा" में भगवान् ने श्रावक के बारह व्रतों का
१ श्री स्थानार्याग सूत्र में ।
२ श्री ज्ञातासूत्र ८ वाँ अध्यायन ।
३ श्री अन्तगढ दशांग और ज्ञातासूत्र में ।
४ श्री पनवगासूत्र तथा कर्मग्रन्थादि में ।
५ श्री उपाशकदशांगसूत्र ।
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