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मू० पू० वि० प्रश्नोरार
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नहीं पर पत्थर का सिंह देखने वाला अपनी जान भी बचा सकता है। यों समझिये कि यदि किसी ने पत्थर के सिंह से वास्तविक सिंह का ज्ञान प्राप्त किया हो और वह फिर जंगल में चला जाय
और वहाँ उसे असली सिंह मिल जाय तो वह शीघ्र वृक्षादि पर चढ़ अपने प्राण बचा सकता है, अन्यथा नहीं बचा सकता । देखा पत्थर का प्रभाव ? । इस पत्थर उपासना से श्राप भी तो नहीं बचे हैं देखिये आपके साधु हर्षचंदजी की गीरीग्राम में पाषाणमय मूर्ति और ताराचंदजी की सादड़ी में पाषाणमय मूर्ति हैं वे क्यों बनाई गई हैं कारण तो यही होगा कि वे आपके उपकारी हैं उनकी मूर्तियों के दर्शन और पूजाभक्ति से आपका हृदय निर्मल और कृतज्ञ बनता होगा या कोई अन्य कारण हैं यदि पूर्वोक्त कारण ही है तो उनसे भी महान् उपकारी तीर्थंकरों की मूर्तियों मानने पूजने में आपको शर्म या लज्जा क्यों आती है ?
प्र-एक विधवा औरत अपने मृत पति का फोटू पास में रखके प्रार्थना करे कि स्वामिन् ! मुझे सहवास का अानन्द दो तो क्या फोटू आनन्द दे सकता है ? ____उ०-इसका उत्तर जरा विचारणीय है, जैसे विधवा अपने मृत पति का फोटू अपने पास रख उससे भौतिक आनन्द की आकांक्षा रखती है परन्तु उसे कोई आनन्द नहीं मिलता, कारण भौतिक आनन्द देने में भौतिक देह के अस्तित्व की आवश्यकता है
और वह देह इस समय है नहीं । उसका अधिष्ठाता उसका प्राणवायु और वह शरीर इस समय है नहीं फिर उसे आनन्द कहाँ से मिले ?
अस्तु ! आपका तो मूर्ति से द्वेष मालूम होता है इसी से
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