________________
२०९
मू० पू० वि० प्रश्नोत्तर
इन सब पर कुछ विचार न कर इसी माग का अनुसरण किया मुहम्मद साहिब की इस बात से पाश्चात्य देशों में बड़ी भारी अशान्ति फैली पर सौभाग्यवश इस अयोग्य कार्य में मुहम्मद साहिब को पूर्ण सफलता नहीं मिली क्योंकि उनके पास कोई ऐसा प्रमाण या युक्ति नहीं थी जो कि जनता के हृदय पटल को सहसा पलट सके। उनके पास तो केवल तलवार का बल था जिनके भरोसे पर वे अपने विचारों को जन साधारण में प्रचलित करना चाहते थे पर भला यह कब होने का था, हठात् कोई किसी के विचारों का विनिमय क्या कर सकता है ? अतः वे इसमें फैल रहे और प्रमाण स्वरूप विक्रम की चौदहवीं शताब्दी तक तो जर्मनादि पाश्चात्य प्रदेशों में मूर्तिपूजा की प्रथा ज्यों को त्यों चालू रही । इतना ही क्यों पर खास मक्का में तो चौदहवीं सदी में जैनमंदिर मूर्तिएँ भी पूजी जाती थी। विक्रम की सातवीं शताब्दी से विक्रम की सोलहवीं शताब्दी के प्रारम्भ तक भारत पर अनेक मुस्लिम जातियों के अगणित हमले हुए और धर्मान्धता के कारण उन विधर्मी मुसलमानों ने भारत की स्थाई शिल्पकला के अनेक उद्भट नमने, हजारों लाखों सुन्दर मन्दिर सदा के लिए नष्ट भ्रष्ट कर दिए । ज्ञानोपलब्धि के अनन्य साधन हजारों पुस्तकालयों को ज्यों का त्यों जला दिया किन्तु इतना अत्याचार होने पर भी आर्य प्रजा पर उनका तनिक भी प्रभाव नहीं पड़ा, और विक्रम की सोलहवीं सदी तक अखिल भारत में प्रत्येक धर्मावलम्बी अपने २ इष्ट देव की मूर्ति की पूजा करता रहा। किंतु आखिर उन मुसलमानों की अनार्य संस्कृति हमारे नामधारी आर्यों पर पड़ ही गई और
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org