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________________ प्रकरण पांचवाँ १९२ हो सकता है। यह मन्दिर सैकड़ों वर्षों का पुराना होने पर भी अब तक अच्छी स्थिति में खड़ा है।" मन्त्री विमलशाह और वस्तुपाल के बनवाये हुए आबू पर के जैनमन्दिर भी अनुपम हैं। कर्नल टॉड ने, अपनी 'ट्रैवल्स इन वेस्टर्न इंडिया' नाम को पुस्तक में विमलशाह के मन्दिर के विषय में लिखा है कि, 'हिंदु. स्तान भर में यह मन्दिर सर्वोत्तम है और ताजमहल के सिवा कोई दूसरा स्थान इसकी समता नहीं कर सकता। वस्तुपाल के मन्दिर के सम्बन्ध में भारतीय शिल्प के प्रसिद्ध ज्ञाता म० फर्मूसन ने 'पिकचस इलस्ट्रेशन्स ऑफ एनशिएंट आर्किटेक्चर इन हिन्दुस्तान' नामक पुस्तक में लिखा है कि इस मन्दिर में, जो संगमरमर का बना हुआ है, अत्यन्त परिश्रम सहन करने वाली हिन्दुओं की टांकी से फ़ोते जैसी बारीकी के साथ ऐसी मनोहर आकृतियां बनाई गई हैं, कि उनको नक्कल कागज पर बनाने में कितने ही समय तथा परिश्रम से भी मैं सफल नहीं हो सका। ऐसे ही चितौड़ का महाराणा कुम्भा का कीर्ति स्तम्भ एवं जैन स्तम्भ, बाबू के नीचे की चंद्रावती और झालगपाटन के मन्दिरों के भगनावशेष भी अपने बनाने वालों का अनुपम शिल्पज्ञान, कौशल, प्राकृतिक सौंदर्य तथा दृश्यों का पूर्ण परिचय और अपने काम में विचित्रता एवं कोमलता लाने की असाधारण योग्यता प्रकट करते हैं, इतना ही नहीं किन्तु ये भव्य प्रासाद परम तपस्वी की भाँति खड़े रह कर सूर्य का तीक्ष्ण ताप, पावन का प्रचंडवेग और पावस की मूसलाधार वृष्टियों को सहते हुये आज भी अपना मस्तक ऊँचा किये, अटल रूप में ध्यानावस्थित खड़े, दर्शकों की बुद्धि को चकित और थकित कर देते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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