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परिशिष्ठ इन थोड़े से उपरोक्त स्थानों के अतिरिक्त राजपूताने में और भी अनेक कला कौशल के उज्ज्वल उदाहरएरूप स्थान विद्यमान हैं जिनका वर्णन हम आगे यथा प्रसंग करेंगे । इसी तरह मुसलमानों के इस देश पर अधिकार करने के पूर्व की सुन्दर खंडित मूर्तियां जो मथुरा, कामां (भरतपुर राज्य में ), राजोरगढ़ (अलवर राज्य में ), हर्षनाथ के मन्दिर (जयपुर राज्य के शेखावाटी प्रदेश में ), हाथमों (जोधपुर राज्य में ), बघेरा (अजमेर जिले में), नागदा, धौड़, बाडोली, मैनाल (चारों उदयपुर राज्य में ) बड़ौदा (डूंगरपुर राज्य की पुरानी राजधानी ), तलवाड़ा (बांसवाड़ा राज्य में ) आदि कई स्थानों से मिली हैं, उनको देखने से यही प्रतीत होता है, कि मानों कारीगर ने उनमें जान ही डाल दी हो । मुसलमानों का इस देश पर अधिकार होने के पीछे तक्षणकला में क्रमशः भद्दापन ही आता गया।xxx
"राजपूताना का इतिहास पृष्ठ २२"
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