________________
प्रकरण पांचवा
१८८ यह लेख कनिष्कराज्य के नौवां वर्ष का भगवान् महावीर को मूर्ति पर का है।
' x x x x
"संवत्सरे ६०....""स्य कुटुंबनिय दानस्य (बोधुय) कोहियातो गणतो, प्रश्नवाहनकुलतो, मज्जमातोशाखातो सनिकायभतिगालाऐ, थवानि........"
यह लेल सं० ९० का एक खण्डित मूर्ति पर का है।
___ "सं०४७ ग्र०२दि० २० एतस्य पूर्वाये चारणे गणेये तिघमिक कुलवाचकस्य रोहनदिस्य शिष्यस्य सेनस्य निर्वतन सावक''इत्यादि । यह लेख सं० ४७ का एक पत्थर खण्ड पर है।
x xxx __ "सिद्ध, नमोअरिहंतो महावीरस्य देवस्य, राज्ञा वसुदेवस्य संवत्सरे ६८ वर्ष-मासे ४ दिवसे ११ एतस्य पूर्वा वे आर्य रोहतियतोगणतो परिहासककुलतो पोन पत्ति कातो शाखातो गणस्य आर्यदेवदत्तस्य"इत्यादि । ___ मथुरा की कंकालीटीला की खुदाई के काम से जो मतियाँ स्तूपादि उपलब्ध हुए हैं उनके प्राचीन एवं महत्वपूर्ण शिलालेख डॉ. स्मिथ की 'जैन स्तूप और मथुरा की एन्टोकोटीज' में मुद्रित हो चुके हैं इनके अलावा और भी शिलालेखों को जो बड़े ही महत्वपूर्ण हैं और जैनों को प्राचीन जाहुजलाली बतलाने वाले हैं, इन सबका संग्रह 'ऐपीग्राफीश्रा इन्डीका के सं० १९१० अनवरीमास
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org