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________________ मथुरा की प्राचीन जैन मूर्ति ऊपर के शिलालेख। डॉ-कनिंगहाम (Sir. A. Cunningham ) के आर्चीमोलोजीकल रिपोर्ट (Archaeological Report) के तीसरे वोल्यूम में नं० १३ से १६५ में छपे हुए मथुरा का शिलालेखों से नमूने के तौर पर कतिपय शिलालेख यहाँ दिये जाते हैं । "सिद्धं सं० २० ग्रमा १ दि० १०+२ कोट्टिया तो गणातो, वाणियतोकलतो, वैरितो शाखातो शिरिकातो भचितोवाचकस्य आर्यसंघसिहस्य निवर्तन, दत्तिलस्य"वि लस्य कोठठुबिकियेजयबालस्य, देवदासस्य, नागदिनस्य, च नागदिनाये च मातुये श्राविकाये दिनाये दांनइ (श्री) वर्तमान प्रतिमा" ___ ऊपर का लेख सं० २० का भगवान महावीर की प्रतिमा पर खुदा हुभा है। __“सिद्ध, महाराज्यस्य, कनिष्कस्यराज्ये सवत्सरे नवमें 8 मासेपथमें १ दिवसे ५ अस्यं पूर्वासे कोहियातो गणतो वाणियतो कुलतो, वैरितो शाखातो, वाचकस्य नागनंदिस, निवरतनं ब्रह्मघतुये भदिमितसं कुठबिनिये विकटाये श्रीवर्द्धमानस्य प्रतिमा करिता सर्व सत्वानां हित मुखाये" Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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