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प्रकरण पांचव
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पभारे बराकर - समुथपिताहि अनेक योजनाहिताहि प. सि. ओसिलाह सिंहपथ - रानिसि - [] धुडाय निसयानि १५.
( पंक्ति १६ वीं ) " "घंटालत्तो चतरे च बेरियमे थंभे पतिठापयति [ ] पान - तरिया सत सहसेहि [1] मुरिय-काल वोधिनं च चोयठिअंग-सतिर्क तुरियं उपादयति [] खेमराजा स वढराजा स भिखुराजा धमराजा पसंतो सुनंतो अनुभवतो कलाणानि १६. ( पंक्ति १७ वीं ) गुण - विसेस - कुसलो सबपांस-टपूजको सव-देवायतनसंकारकारको [ अ ] पतिहत चकिवाहिनिबलो चकधुरो गुतचको पवत - चको राजसि - वस - कुलविनिसितो महा-विजयो राजा खारवेल - सिरि १७. ।
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* इस लेख का विशेष विवरण मेरो लिखी जैन प्राचीन इतिहास संग्रह तीसरा भाग की पुस्तक में देखो !
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