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________________ प्रकरण पाँचवाँ १६४ ( इजिप्ट) राजा की मूर्ति हाथी दाँत में कुतरी हुई ब्रिटिश म्यूजियम में है। ८-लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व की नागदेवी की मूर्ति वाला लीला पत्थर चिद्रागो नेचरल हिस्ट्री के फील्ड म्यूजियम में मिल सकता है। ९-लगभग ४८०० सौ वर्ष पूर्व काहिमोटेप नामक डाक्टर का बावला ब्रिटिश म्यूजियम में है । ____ इस प्रकार ईस्वी सन् के ५-६ हजार पूर्व की मूर्तिऐं सो भूमि से निकल रही हैं। किन्तु कह नहीं सकते कि अब फिर मूर्तियों की प्राचीनता कहाँ तक पहुँचेगी क्योंकि ज्यों ज्यों शोध खोज और भूगर्भ की खुदाई होती जाती है त्यों २ जगत का प्राचीन इतिहास बताने वाले अमल्य रत्न मिलते जाते हैं इसलिए "इयत्तयैव मति प्राचीनत्व सिद्धम्" को हम निश्चयात्मक नहीं बता सकते हैं। इसका निर्णय तो भविष्य पर है । परन्तु आशा होती है कि इन नितरां प्राप्त साधनों से हमारे ग्रन्थों में बताई हुई अनादि मर्तिपूजा की सिद्ध होगी। आज करीब १३०० वर्षों से मुसलमान, क्रिश्चियन, पारसी तारनपन्थी और लौकामत वाले लोगों का मूर्तिपूजा के लिए घोर विरोध करने पर भी संसार में मूर्ति-पूजक लोग कितनी संख्या में हैं जब कि सारे संसार को मनुष्य गणना करीबन दो अर्ब की है जिसमें मर्तिपूजक इस प्रकार हैं । १ बौद्ध ( बुद्धमताऽनुयायी) ५८००००००० २ रोमन केथोलिक ( यूरोपियन ) ३९००००००० ३ ग्रीक १००००००० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003204
Book TitleMurtipooja ka Prachin Itihas
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarvijay
PublisherRatna Prabhakar Gyan Pushpmala
Publication Year1936
Total Pages576
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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