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४ ऐनिमिस्ट
५ हिन्दू
भिन्न-भिन्न जातियाँ ७ जैन
मुस्लिम धर्म में मूर्तिपूजा
१५३२०००००
२७०००००००
२७०००००
१००००००
कुल मू० पू० १४०६९०००००
Platinas
-अब जरा मूर्ति नहीं मानने वालों की भी हालत और संख्या देखिये । मूर्ति नहीं मानने वालों में सर्व प्रथम नंबर मुसलमानों का है जो संसारभर में करीबन २२ करोड़ कहे जाते हैं। परन्तु न तो इनका काम बिना मूर्ति के चलता है और इसलिए येन मूर्ति पूजा से वश्चित ही रहे हैं। जैसे कि ये लोग ताजिया ( ताबूत), मसजिद और कबरें बनाते हैं जिनमें अपनी भावना अनुसार एक निश्चित आकार की ( मूर्ति ) श्राकृति स्थापित करते हैं और उसे पूज्य भाव से देखते हैं, उस पर पुष्प चढ़ाते हैं उसे लोबान आदि का धूप देते हैं, प्रसाद ( मिष्टान्न ) आदि रखते हैं, तथा अजमेर में ख्वाजापीर ( खास का पीर ) की एक दरगाह है वहाँ सैकड़ों कोस दूर दूर से मुसलमान लोग आते हैं और उसको पवित्र स्थान जानकर बहुमानपूर्वक पूजते हैं, इतना ही क्यों पर हज़ारों मुसलमान हज ( यात्रा ) के लिए मक्का मदीना जाते हैं उसे अपना तीर्थधाम समझ कर वहाँ अपने -माने हुए अनेक सत्कार्य करते हैं, वहाँ जाने में उनकी भावना आत्मकल्याण साधन की रहती है। वहाँ जाकर वे किस प्रकार पूजा आदि करते हैं इस विषय में एक अनुभवी सज्जना लिखते हैं:
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