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मूर्तियों की प्राचीनता क्योंकि आजकल यूरोपादि विदेशों का खुदाई का काम होते वक्त भूमध्य में से सैकड़ों मूर्तिये श्रादि मिलती हैं और वे वहां के म्यूजियमों में सुरक्षित रखी जाती हैं । - श्रीमान् रतिलाल भीखाभाई ने बंबई समाचार दैनिक पत्र सा० २४-४-३६ के अङ्क में "श्री लौकाशाह और जैनधर्म शीर्षक " एक विस्तृत लेख में लिखा है कि यूरोप की ये मूत्तिएँ अति प्राचीन हैं । यथाः....१-श्रामेन के एक बड़े पादरी रूई की मूर्ति पत्थर में खोदी हुई तीन फीट ऊँची जो ३९०० वर्ष पूर्व की अभी मिली है ब्रिटिश म्यूजियम में सुरक्षित है। ... २-ओलंपिया के पास "हीरा" नामक मंदिर जो कि २५०० से ३००० वर्ष का पुराना है उसके खण्डहर अभी तक मौजूद हैं।
३-रंगून में पैगोड़ा का ३५० फीट ऊँचा स्तूप अभी खक विद्यमान है जो कि बहुत प्राचीन है। . .
४-एलिफेन्टा की गुफाओं में २८०० वर्ष पूर्व को खुदी हुई शिव पार्वती की मूत्तिऐं वर्तमान में भी स्थित हैं । इनके फोटो भी इण्डिया ओफिस ने लिए हैं बंबई के हिंदू लोग शिवरात्रि महोत्सव वहीं पर स्टीमरों से जाकर मनाते हैं। . ५-अजन्ता और इलोरा में भी द्रविड़, जैन, बौद्ध, और ब्राह्मण संस्कृति वाले प्राचीन मन्दिर दीखते हैं ।
६.-इजिप्त की संस्कृति द्योतक एडुफु का मंदिर २२०० वर्ष का बना हुआ अभी तक भग्नाऽवस्था में पड़ा है। ..
७-लगभग ५४०० वर्ष पूर्व की एबिडोस नामक
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