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प्रकरण पाँचवाँ
१६२ २७-ओशिनिया, मंडाविच और हवाई टापुत्रों में हैजा, महामारी, आदि उपद्रव होने पर लिङ्गपूजा होती है।
२८-दक्षिण अमेरिका के ब्राजिल देश में बहुत प्राचीन समय की शिवगणेश की मूत्तिऐं मिलती हैं, और कई एक जैनधर्म की मूर्तिऐं तथा सिद्धचक्र के गहे एवं उनके ध्वंसाs वशेष मिलते है।
२९-पेन के सोमटेस नामक मन्दिर के दरवाजे की एक बाजू पुरुषाकार मूर्ति तथा दूसरी ओर स्त्रोकार वाली मूर्ति की पूजा हाती है।
३०-मेड्रिड शहर में मंदिर और कबरिस्तान में स्त्री आकार की नङ्गी मूर्ति की मिट्टी के धड़ पर पूजा होती है। ... ३१--नॉर्वे और स्वीडन में लिंगपजा होतो है।
३२- होडुगश देश में पेनिको नगर में दो मुंह वाली पत्थर की मूर्ति की पूजा होती है ।
३३-मेक्सिको देश में हाथी के मस्तक के समान आकृति वाली मूर्ति की पूजा होती है। . ३४-लंका में बुद्ध चरणों की पूजा की जाती है । इत्यादि भारत के बाहिर अन्य विदेशों में तत्तद्देशीय प्रजा की भावना के अनुकूल मूर्ति की पूजा की जाती है । जिन लोगों ने स्वयं यूरोप की यात्रा कर इन मूर्तिपूजा को अपनी आँखों से देखा है उन्हीं के यात्रा वृतान्तों में से कुछ मूर्तिपूजा के उदाहरणों का सङ्केत हमने यहाँ किया है । यूरोप तथा अन्य विदेशों में पूजा जाने वाली ये मूर्तिऐं कितनी प्राचीन हैं इसके लिए हम कतिपय पाश्चात्य प्रमाण यहां दर्ज करते हैं जो पूर्ण विश्वासपात्र हैं।
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